संपादक की कलम से

अगर हम दुनिया भर की संस्कृतियों की बात करें तो हमारी पंजाबी संस्कृति एक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति है हमारी मातृभाषा पंजाबी मीठी और स्वादिष्ट है अपरिपक्वता और भाईचारा सदियों से हमारे स्वभाव में रहा है हमारे सभी त्यौहार बिना किसी जाति, धर्म, जाति, समुदाय के सभी के लिए समान हैं जैसे दशहरा, दिवाली सभी गुरुपर्व, वैसाखी और लोहड़ी आदि काल से हम सभी एक साथ मनाते आ रहे हैं।

अगर हम दुनिया भर की संस्कृतियों की बात करें तो हमारी पंजाबी संस्कृति एक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति है हमारी मातृभाषा पंजाबी मीठी और स्वादिष्ट है अपरिपक्वता और भाईचारा सदियों से हमारे स्वभाव में रहा है हमारे सभी त्यौहार बिना किसी जाति, धर्म, जाति, समुदाय के सभी के लिए समान हैं जैसे दशहरा, दिवाली सभी गुरुपर्व, वैसाखी और लोहड़ी आदि काल से हम सभी एक साथ मनाते आ रहे हैं। हमारे लोकगीत और गीत इन त्योहारों, रीति-रिवाजों और हमारे दुख-सुख से जुड़े हुए हैं। ये आम लोगों के दिल और इच्छाओं का प्रतिबिंब हैं हमारे पंजाबी लोक गीत हमारी समृद्ध विरासत से जुड़े हैं, जो हमारी छोटी-छोटी खुशियों, उपलब्धियों, शिकवे-शिकायतों का बखूबी वर्णन करते हैं।

लेकिन आज हम गायन और गीत लेखन के जिस दौर से गुजर रहे हैं, उस पर बौद्धिक और संवेदनशील वर्ग केवल अफसोस ही व्यक्त कर रहा है। नंद लाल "नूरपुरी", प्रोफेसर सोहन सिंह, शिव बटालवी जैसे कवियों के गीत आज के संगीत के शोर में कहीं खो गए लगते हैं। गाने के बोल में हर तरह के ड्रग्स, हर तरह के आधुनिक हथियारों को शामिल करना जरूरी माना जाने लगा है ये गाने किस पंजाबी संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह तो गायक और उनके संगीतकार ही बता सकते हैं।

लेकिन जब एक आम आदमी इस गाने को सुनता है तो आधुनिक वाद्ययंत्रों के शोर के अलावा कुछ भी सामने नहीं आता। हालाँकि हम सभी गीतकारों और गायकों को इस श्रेणी में शामिल नहीं कर सकते हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो अपने गीतों में हथियार और नशीली दवाओं को शामिल करते हैं। पंजाब हस्सदा ववादा गुरु पीरों द्वारा बनाया गया एक रंगाला प्रांत है क्या हमने कभी सोचा है कि ये गाने हमारे युवाओं को कहां ले जा रहे हैं और कहां जाकर रुकेंगे.

आज हर न्यूज़ चैनल और हर अख़बार में पंजाब में नशे और हिंसा की ख़बरें आ और छप रही हैं ये एक कड़वा सच है पंजाब की इस छवि के लिए हम जिम्मेदार हैं क्या गानों में हमारी गायकी की उड़ान और सोच तभी रुकी है जब हम हथियारों और नशे पर आ गए हैं हमारे दिल, दिमाग, विचार और मस्तिष्क का दायरा बहुत व्यापक है आइए इस संकीर्ण सोच को त्यागें और कल्पना की नई ऊंचाइयों की ओर उड़ान भरें इससे पंजाब और हमारी अगली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित होगा

                                                                                                      ~~~~~~~~~ देविंदर कुमार ~~~~~~~~~

- देविंदर कुमार