मौत के बाद भी मानवता की सेवा; 96 वर्षीय सावन इन्सां ने देह दान कर रची मिसाल; बेटा-बेटी एक समान;अर्थी को बेटियों ने दिया कंधा; बदला सीन

करनाल, 16 सितंबर:- मृत्यु के बाद भी मानवता की सेवा यही संदेश देकर 96 वर्षीय सावन इन्सां ने अपनी अंतिम सांस ली। राजीवपुरम निवासी सावन इन्सां ने जीवनकाल में ही शरीरदान का संकल्प लिया था, जिसे परिवार ने उनकी मृत्यु के बाद पूरा करते हुए मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज को उनका पार्थिव शरीर दान कर दिया।

करनाल, 16 सितंबर:- मृत्यु के बाद भी मानवता की सेवा  यही संदेश देकर 96 वर्षीय सावन इन्सां ने अपनी अंतिम सांस ली। राजीवपुरम निवासी सावन इन्सां ने जीवनकाल में ही शरीरदान का संकल्प लिया था, जिसे परिवार ने उनकी मृत्यु के बाद पूरा करते हुए मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज को उनका पार्थिव शरीर दान कर दिया। 
मंगलवार दोपहर शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफ़ेयर कमेटी के सेवादारों ने मानव श्रृंखला बनाकर शरीरदानी सावन इन्सां को श्रद्धासुमन अर्पित किए और एंबुलेंस के माध्यम से उनके शरीर को मथुरा स्थित मेडिकल कॉलेज पहुंचाया। 
इस दौरान “सावन इन्सां अमर रहें” के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। सावन इन्सां के पुत्र अशोक इन्सां ने बताया कि उनका पूरा परिवार डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा है। उनके पिता कई बार कहते थे कि मृत्यु के बाद उनके शरीर को जलाने के बजाय मेडिकल शोध के लिए दान किया जाए, ताकि युवा पीढ़ी इसका लाभ उठा सके। 
उनकी यही इच्छा पूरी करते हुए परिवार ने डेरा सच्चा सौदा से संपर्क किया और मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज में उनका शरीर दान किया। सावन इन्सां अपने पीछे तीन पुत्र  अशोक इन्सां, प्रताप इन्सां और पृथ्वी इन्सां, एक बेटी दरशो देवी, पुत्रवधुएं मीना इन्सां, कमलेश, जीत कौर तथा पौत्र-पौत्रियों को छोड़ गए हैं।

*बेटियों व पुत्रवधुओं ने दिया कंधा:
डेरा सच्चा सौदा की “बेटा-बेटी एक समान” मुहिम के तहत सावन इन्सां की बेटी दरशो देवी और पुत्रवधुएं मीना इन्सां, कमलेश व जीत कौर ने अर्थी को कंधा दिया। इस पहल से समाज में बेटा-बेटी समानता का सशक्त संदेश जा रहा है।

*2,500 से अधिक हो चुके शरीरदान:
डेरा सच्चा सौदा के सेवादार किरपा राम इन्सां, राजेश व राकेश इन्सां ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु जीते-जी जहां मानवता की सेवा करते हैं, वहीं मरणोपरांत शरीर व नेत्रदान कर इंसानियत की मिसाल कायम कर रहे हैं।
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से अब तक 2,500 से अधिक श्रद्धालु मरणोपरांत स्वेच्छा से शरीरदान कर चुके हैं।