वेटरनरी यूनिवर्सिटी ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ ब्रैकिश वॉटर एक्वाकल्चर के साथ किया समझौता

लुधियाना 24 दिसम्बर 2024- पंजाब में खारे पानी के जलीय कृषि के सतत विकास के संबंध में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिश वॉटर एक्वाकल्चर, चेन्नई के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह संस्था इस क्षेत्र में अग्रणी संस्था है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवॉटर एक्वाकल्चर के निदेशक डॉ. कुलदीप के लाल और विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. ए के अरोड़ा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किये।

लुधियाना 24 दिसम्बर 2024- पंजाब में खारे पानी के जलीय कृषि के सतत विकास के संबंध में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिश वॉटर एक्वाकल्चर, चेन्नई के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह संस्था इस क्षेत्र में अग्रणी संस्था है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवॉटर एक्वाकल्चर के निदेशक डॉ. कुलदीप के लाल और विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. ए के अरोड़ा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल, वाइस चांसलर और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ-साथ कॉलेज ऑफ फिशरीज की वैज्ञानिक टीम भी उपस्थित थी।
  डॉ गिल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में खारे पानी वाली गैर कृषि भूमि में झींगा की सफलतापूर्वक खेती करके इस भूमि को लाभदायक बनाने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज, चारे की लागत, बीमारियाँ और निर्यात आधारित विपणन इस परियोजना के लिए विशेष चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि इस केंद्रीय संगठन के साथ साझेदारी करके हम इन चुनौतियों का उचित समाधान ढूंढेंगे और इन क्षेत्रों को प्रभावी तरीके से विकसित करेंगे।
  डॉ कुलदीप ने कहा कि इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि हमारे इस केंद्रीय संगठन के पास बायोफ्लॉक विधि से झींगा बीज नर्सरी तैयार करने, लागत प्रभावी चारा उत्पादन, संसाधनों के कुशल उपयोग और रोगों के नियंत्रण के लिए पर्याप्त ज्ञान है।
  डॉ अरोड़ा ने कहा कि इस समझौते से पंजाब के खारे पानी वाले इलाकों के किसानों को फायदा होगा और नई तकनीकों से छोटे, मध्यम और बड़े किसान भी बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे।
  डॉ मीरा डी आंसल, डीन, फिशरीज कॉलेज ने कहा कि यह समझौता जहां कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देगा, वहीं यह भागीदारों यानी किसानों, वैज्ञानिकों और छात्रों के बीच वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने का एक बड़ा प्रयास भी साबित होगा।