थैलेसीमिया रोग के प्रति जागरूकता ही इस के इलाज में एहम होती है: ज़िला टीकाकरण अधिकारी डा सीमा गर्ग

होशियारपुर- विश्व थैलेसीमिया दिवस हर साल 8 मई को मनाया जाता है यह इस स्थिति से पीड़ित लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें स्वस्थ, लंबा और अधिक उत्पादक जीवन जीने में मदद करने का अवसर प्रदान करता है। स्वास्थ्य विभाग पंजाब के आदेशानुसार व सिविल सर्जन डा. पवन कुमार शगोत्रा ​​के निर्देशानुसार जिले भर में थैलेसीमिया दिवस संबंधी जागरूकता अभियान चलाया गया एवं आई ई सी गतिविधियां संचालित की गईं।

होशियारपुर- विश्व थैलेसीमिया दिवस हर साल 8 मई को मनाया जाता है यह इस स्थिति से पीड़ित लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें स्वस्थ, लंबा और अधिक उत्पादक जीवन जीने में मदद करने का अवसर प्रदान करता है। स्वास्थ्य विभाग पंजाब के आदेशानुसार व सिविल सर्जन डा. पवन कुमार शगोत्रा ​​के निर्देशानुसार जिले भर में थैलेसीमिया दिवस संबंधी जागरूकता अभियान चलाया गया एवं आई ई सी गतिविधियां संचालित की गईं। 
इस अवसर पर जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग ने सिविल अस्पताल माहिलपुर में नर्सिंग विद्यार्थियों व आम जनता को इस दिवस के संबंध में संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष का थीम 'थैलेसीमिया के लिए समुदायों को एकजुट करना, रोगियों को प्राथमिकता देना' है। 
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया के बारे में ज्ञान साझा करना, सूचनाओं का आदान-प्रदान करना और गुणवत्तापूर्ण थैलेसीमिया शिक्षा प्रदान करना है।उन्होंने कहा
थैलेसीमिया रोग के प्रति जागरूकता ही इस के इलाज में एहम होती है लेकिन थैलेसीमिया के बारे में लोगों में जागरूकता बहुत कम है, जिसके कारण एक नन्हा जीवन अनजाने में इस बीमारी का शिकार हो जाता है। इसलिए इस बीमारी के बारे में लोगों को अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि नवजात शिशुओं को इस भयानक बीमारी से बचाया जा सके।
इस रोग के कारण नवजात शिशु में रक्त का उत्पादन बहुत कम हो जाता है, जिसके कारण उसे हर 10 या 15 दिन में रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी माता-पिता से बच्चों में पहुंचती है। उन्होंने इस बीमारी के लक्षणों के बारे में बताया कि शुरू में बच्चा सामान्य दिखाई देता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ उसमें खून की कमी हो जाती है तथा बाद में बच्चा कमजोर हो जाता है, शरीर हल्का हो जाता है, हृदय की गति बढ़ जाती है, बच्चा खेलकूद में भाग नहीं ले पाता है। इस दौरान बच्चे के गले और आंखों में सूजन आने लगती है। बच्चा लगातार बीमार रहने लगता है और उसका वजन भी नहीं बढ़ता। 
उन्होंने कहा कि जानकारी और जागरूकता से इस बीमारी को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों तथा अन्य जरूरतमंद लोगों की रक्त की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक लोगों को रक्तदान अभियान से जुड़ना चाहिए। इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. जसवंत सिंह थिंद, समस्त अस्पताल स्टाफ व अन्य उपस्थित थे।