
देश भगत यादगार कमेटी का संदेश; युद्ध स्वयं समस्या है, यह समस्या का समाधान नहीं है
जालंधर- "संयुक्त पंजाब के लोगों के देशभक्त प्रतिनिधियों के सपनों को साकार करने, उनके सपनों को साकार करने, उन्हें चेतना की रोशनी की झलक दिखाने के लिए 1913 में अमेरिका में गठित ग़दर पार्टी के उत्तराधिकारियों द्वारा निर्मित पूजा स्थल देश भगत यादगार हॉल, देश भगत यादगार कमेटी ने जन-संहारक युद्ध के भड़कने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के लोगों के खिलाफ अन्यायपूर्ण युद्ध है, जिसका हर मानवीय, न्यायप्रिय और शांतिप्रिय व्यक्ति को निडरता से विरोध करने की आवश्यकता है।"
जालंधर- "संयुक्त पंजाब के लोगों के देशभक्त प्रतिनिधियों के सपनों को साकार करने, उनके सपनों को साकार करने, उन्हें चेतना की रोशनी की झलक दिखाने के लिए 1913 में अमेरिका में गठित ग़दर पार्टी के उत्तराधिकारियों द्वारा निर्मित पूजा स्थल देश भगत यादगार हॉल, देश भगत यादगार कमेटी ने जन-संहारक युद्ध के भड़कने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के लोगों के खिलाफ अन्यायपूर्ण युद्ध है, जिसका हर मानवीय, न्यायप्रिय और शांतिप्रिय व्यक्ति को निडरता से विरोध करने की आवश्यकता है।"
देश भगत यादगार कमेटी के अध्यक्ष अजमेर सिंह, महासचिव पृथीपाल सिंह मरीमेघा तथा सांस्कृतिक विंग के संयोजक अमोलक सिंह ने जारी लिखित बयान में उक्त टिप्पणी की है तथा कहा है कि कमेटी पहले दिन से ही पहलगाम की हृदय विदारक घटना की कड़ी निंदा करती आ रही है तथा अपराधियों के पदचिन्हों को जनता के सामने लाने की मांग करती आ रही है। कमेटी का मानना है कि लोगों की शंकाओं तथा मुंहफट बयानों का संतोषजनक उत्तर देना भाजपा सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
उस दिशा में एक भी कदम उठाने की बजाय आधी रात को पाकिस्तान पर हुए मिसाइल हमले का जश्न मनाने तथा राष्ट्रीय अंध राष्ट्रवाद के धुएं में तेल डालने के लिए सारी शक्तियां लगा दी गई हैं। यह अंधी दौड़, 'आंख के बदले आंख' की अंधी दौड़ अंधों के धरने को जन्म देगी।
देश भगत यादगार कमेटी का स्पष्ट और स्पष्ट मत है कि केंद्र की भाजपा सरकार, ‘दुनिया के पुलिसवाले’ होने के अहंकार में चूर ताकतों के इशारे पर काम करते हुए लोगों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाकर युद्ध की आंधी में अपनी भूमिका निभाना चाहती है, ताकि अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों की पूर्ति हो सके और देश के कॉरपोरेट घरानों की पूंजी का रास्ता साफ हो सके।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और पुलिस राज्य स्थापित करने के लिए पंजाब सरकार ने लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है, ताकि जंगल, पानी, जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी संसाधन और कीमती प्राकृतिक संसाधन कॉरपोरेट घरानों को मुहैया करवाए जा सकें। इरादा युद्ध के जरिए अंध राष्ट्रवाद की धूल को छिपाने और लोगों का ध्यान उनकी असली मांगों और मुद्दों से हटाकर बस युद्ध के धुएं में बदलना है।
समिति ने विरोध जताते हुए कहा है कि पहले तो पहलगाम में लोगों को सुरक्षा मुहैया न करवाना, फिर घटना के बाद घंटों तक लोगों की चीखें न सुनना, प्रधानमंत्री का कोई जवाब न देना और आज पूरी गति से 'राष्ट्र के नाम संदेश' देते हुए राष्ट्रवाद और सांप्रदायिकता का माहौल बनाने के लिए गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियां करना, लोगों के मन में उठ रही शंकाओं को और मजबूत करता है कि पहलगाम की दर्दनाक घटना की पटकथा का असली सच क्या है! समिति का कहना है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, युद्ध अपने आप में एक मुद्दा है।
इसलिए युद्ध का माहौल तुरंत खत्म किया जाना चाहिए, सीमाओं पर किसी भी तरफ से हमला या गोलाबारी निश्चित रूप से समस्या का समाधान नहीं बल्कि समस्याओं को बढ़ाने वाला है। समिति ने मांग की है कि शांति के कबूतरों को तुरंत आसमान में छोड़ा जाए, न कि कोरोना महामारी के दौरान थाली पीटने जैसे 'खतरे के कबूतरों' को, जो ब्लैकआउट ड्रिल के माध्यम से समाज में भय का माहौल पैदा करते हैं और लोगों पर अपनी जनविरोधी नीतियों के बुलडोजर का रास्ता बनाते हैं, युद्ध के घने धुएं में लोगों को विचलित करते हैं और अपने स्वार्थों की पूर्ति करते हैं।
