वेटरनरी विश्वविद्यालय में मुंहपका-खुरपका रोग की रोकथाम के संबंध में परिचर्चा का आयोजन
लुधियाना 08 फरवरी 2024- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने मुंहपका-खुरपका रोग के बारे में जागरूकता फैलाने हेतु विशेषज्ञों और किसानों के बीच एक चर्चा का आयोजन किया। डॉ प्रकाश सिंह बराड़ प्रसार शिक्षा के निदेशक ने कहा कि यह तेजी से प्रभावित करने वाली विषाणु बीमारी है। विभाजित खुर वाले जानवर जैसे गाय, भैंस, सूअर, बकरी और भेड़ इसके प्रभाव में आते हैं। इससे जहां उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
लुधियाना 08 फरवरी 2024- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने मुंहपका-खुरपका रोग के बारे में जागरूकता फैलाने हेतु विशेषज्ञों और किसानों के बीच एक चर्चा का आयोजन किया। डॉ प्रकाश सिंह बराड़ प्रसार शिक्षा के निदेशक ने कहा कि यह तेजी से प्रभावित करने वाली विषाणु बीमारी है। विभाजित खुर वाले जानवर जैसे गाय, भैंस, सूअर, बकरी और भेड़ इसके प्रभाव में आते हैं। इससे जहां उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वहीं उत्पादन भी घट जाता है। डॉ बराड़ ने कहा कि इसके लिए विश्वविद्यालय, पशुपालन विभाग और क्षेत्रीय रोग निगरानी प्रयोगशाला को मिलकर इस बीमारी पर नियंत्रण करना चाहिए।
डॉ राबिंदर प्रसाद सिंह, निदेशक, मुंहपका-खुरपका रोग निदेशालय, भुवनेश्वर ने बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रभावी रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि साल में दो बार टीकाकरण करने और छोटे पशुओं को बूस्टर खुराक देने से बीमारी से बचाव की संभावना काफी बढ़ जाती है. रोग प्रभावित क्षेत्रों में घेरा विधि से टीकाकरण करना भी बहुत जरूरी है। डॉ जजाति के मोहापात्रा ने इस बीमारी के दौरान पशुओं में सांस संबंधी समस्याएं बढ़ने के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हमें जैव सुरक्षा का सख्ती से पालन करना चाहिए और प्रभावी तरीकों से फार्म को कीटाणुरहित करना चाहिए। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि मुंहपका-खुरपका और गलघोटू रोग के खिलाफ संयुक्त टीकाकरण भी पूरी तरह से प्रभावी है।
उन्होंने बताया कि जिस फार्म में पशु को यह बीमारी लगी हो, उस फार्म में आखिरी पशु के प्रभावित होने के एक माह बाद टीकाकरण शुरू कर देना चाहिए। डॉ स्वर्ण सिंह रंधावा ने पशु के लक्षणों के आधार पर उपचार पर प्रकाश डाला। डॉ जसबीर सिंह बेदी ने बीमारी का शीघ्र पता लगाने और महामारी की रोकथाम के बारे में सुझाव साझा किए। चर्चा में पशुपालन विभाग, पंजाब, क्षेत्रीय रोग निगरानी प्रयोगशाला के अधिकारियों और कृषक समुदाय के 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
