
डॉ. एसपी सिंह ओबराय की बदौलत बठिंडा के युवक का शव भारत पहुंचा
पटियाला, 12 जनवरी - बठिंडा जिले के कस्बा मेहराज से संबंधित 25 वर्षीय गुरचरण सिंह पुत्र जस्प्रीत सिंह का शव दुबई के प्रमुख व्यवसायी, सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक डॉ. एसपी सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से आज दुबई से श्री गुरु रामदास अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, अमृतसर लाया गया।
पटियाला, 12 जनवरी - बठिंडा जिले के कस्बा मेहराज से संबंधित 25 वर्षीय गुरचरण सिंह पुत्र जस्प्रीत सिंह का शव दुबई के प्रमुख व्यवसायी, सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक डॉ. एसपी सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से आज दुबई से श्री गुरु रामदास अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, अमृतसर लाया गया।
इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए डॉ. एसपी सिंह ओबेरॉय ने कहा कि अन्य युवाओं की तरह ही जसप्रीत सिंह भी कुछ साल पहले बेहतर भविष्य का सपना लेकर दुबई आए थे. कि बीते दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में किसी कारणवश उनकी मृत्यु हो गई। डॉ. ओबेरॉय ने बताया कि इस घटना के संबंध में भारतीय दूतावास ने कुछ दिन पहले उनसे संपर्क किया था और बताया था कि एक युवक का शव कई दिनों से लावारिस पड़ा हुआ है.
डॉ. ओबेरॉय ने यह भी कहा कि उन्होंने एक तस्वीर के माध्यम से जसप्रीत के पिता के शव की पहचान करने के बाद भारतीय दूतावास की मदद से अपनी देखरेख में सभी आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद आज जसप्रीत सिंह के शव को भारत भेज दिया है. डॉ. ओबराय ने बताया कि जसप्रीत के बड़े भाई की पहले ही मौत हो चुकी है और यह उनके माता-पिता का एकमात्र सहारा था। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके जीवनयापन के लिए मासिक पेंशन शुरू की जाएगी। माझा जोन के सलाहकार सुखदीप सिद्धू, अध्यक्ष सुखजिंदर सिंह हेर, महासचिव मनप्रीत संधू चमयारी, उपाध्यक्ष शीशपाल सिंह लाडी और कोषाध्यक्ष नवजीत घई ने बताया कि ट्रस्ट की अमृतसर टीम से डॉ. ओबराय के प्रयास, जो साझा करने के लिए हवाई अड्डे पर पहुंचे उनका दुख पीड़ित परिवार के साथ है। अब तक करीब 352 अभागे लोगों के शव उनके वारिसों तक पहुंचाए जा चुके हैं।
इस बीच एयरपोर्ट पर शव लेने पहुंचे जसप्रीत सिंह के पिता गुरचरण सिंह, मामा सिकंदर सिंह, चचेरा भाई इकबाल सिंह, चाचा इंद्रजीत सिंह के अलावा नगर परिषद कसबा मेहराज के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह आदि ने डॉक्टर की सराहना की. इस महान प्रयास के लिए एसपी सिंह उबराई ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से ही उनके परिजन उनके अंतिम दर्शन कर पाये.
