10 दिन के बच्चे की निजी अस्पताल में इलाज दौरान मृत्यु, मां-बाप द्वारा मेडिकल माफिया पर बच्चे की मौत का सीधा आरोप

मोहीली, 31 जुलाई: लोगों को नई जिंदगी देने वाले डॉक्टर को हमारे समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन आजकल कुछ निजी अस्पताल चला रहे डॉक्टर बड़े नामी अस्पतालों के साथ कथित मिलीभगत और कुछ पैसों के लिए लोगों की जान की भी परवाह नहीं करते और इस धंधे को कलंकित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मोहीली के एक नामी अस्पताल में जन्म के 10 दिन बाद एक बच्चे की मौत का सामने आया है।

मोहीली, 31 जुलाई: लोगों को नई जिंदगी देने वाले डॉक्टर को हमारे समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन आजकल कुछ निजी अस्पताल चला रहे डॉक्टर बड़े नामी अस्पतालों के साथ कथित मिलीभगत और कुछ पैसों के लिए लोगों की जान की भी परवाह नहीं करते और इस धंधे को कलंकित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मोहीली के एक नामी अस्पताल में जन्म के 10 दिन बाद एक बच्चे की मौत का सामने आया है।
आज यहां मोहीली प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पीड़ित इंदरप्रीत सिंह, निवासी गांव भुच्ची, डाकखाना धुंधा जिला फतेहगढ़ साहिब ने बताया कि उसका परिवार एक गरीब परिवार है और वह जमीन ठेके पर लेकर परिवार का गुजारा करता है। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी संदीप कौर ने बीती 22 जून, 2025 को शैली अस्पताल, सरहिंद में ऑपरेशन के जरिए एक लड़के को जन्म दिया। इस दौरान डिलीवरी के बाद दोनों जच्चा-बच्चा की तंदरुस्ती की पुष्टि डॉ. जी.के. शैली, डॉ. सीमा शैली और डॉ. जे.डी. शैली ने की। 
उन्होंने कहा कि करीब एक घंटे बाद ही ऊपरोक्‍त डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की सेहत बिगड़ने का हवाला देते हुए बच्चे को तुरंत मैक्स अस्पताल, मोहाली में रेफर करने की बात कही। जिस कारण परिवार को उनके रवैये पर शक हुआ और हमने डॉक्टरों से सरकारी अस्पताल सेक्टर 32 या पीजीआई चंडीगढ़ में रेफर करने की मांग की। उन्होंने हमारी बात न मानते हुए, धक्के से, अकेले बच्चे को एंबुलेंस के जरिए मोहाली स्थित मैक्स अस्पताल में डॉ. मनू शर्मा के पास भेज दिया, जबकि बच्चे के मां-बाप को भी एंबुलेंस में बैठने नहीं दिया।
उन्होंने आगे बताया कि बच्चे की हालत चिंताजनक बता कर हमसे हजारों रुपए जमा करवाते रहे और डॉक्टरों के अनुसार 1 जुलाई, 2025 तक बच्चे की सेहत तंदरुस्त बताई गई। उन्होंने कहा कि मैक्स डॉक्टरों द्वारा हमें बच्चे के साथ मिलने से भी मना किया जाता रहा और यह भी कहा गया कि जब तक हम आपको नहीं बुलाते, आपको अस्पताल में भी आने की जरूरत नहीं है। 
मैक्स के डॉक्टरों द्वारा बच्चे की स्वास्थ्ययाब बताते हुए एक-दो दिन में छुट्टी देने की बात भी कही गई। लेकिन 1 जुलाई 2025 को मैक्स अस्पताल से फोन आया कि आपका लंबित बिल तुरंत क्लियर करें क्योंकि बच्चे की दवाई महंगी चढ़ाई जा रही है, क्योंकि बच्चा वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन हमारे परिवार पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब डॉक्टरों ने 2 जुलाई 2025 को सुबह 4 बजे ही हमारे बच्चे को मृतक घोषित किया और हमें तुरंत साढ़े तीन लाख रुपये जमा करवाने के लिए कहा। पीड़ित इंदरप्रीत सिंह ने कहा कि परिवार को शक है कि हमारा बच्चा पहले ही मर चुका था, लेकिन अस्पताल कथित तौर पर मोटे पैसे बटोरने के लिए टाल-मटोल करता रहा।
इंदरप्रीत सिंह ने आगे कहा कि जब उन्होंने शैली अस्पताल के मालिक डॉ. जी.के. शैली को बच्चे की मृत्यु के बारे में जानकारी दी तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मैं इसमें क्या कर सकती हूँ, मैं कोई भगवान थोड़ी हूँ, मेरा तो खुद 30 साल का पुत्र मर गया। डॉ. शैली के इस जवाब ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया और परिवार सदमे में है।
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान, स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह, डीजीपी पंजाब समेत एसएसपी और सिविल सर्जन श्री फतेहगढ़ साहिब से इंसाफ की मांग करते हुए कहा कि शैली अस्पताल और मैक्स अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए हमें इंसाफ दिया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे निजी अस्पताल अपने कुछ पैसों के लिए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जिन पर तुरंत नकेल कसनी चाहिए।

शैली अस्पताल की डॉ. जी.के. शैली का कहना है:
जब इस मामले के संबंध में शैली अस्पताल की डॉ. जी.के. शैली (मोबा: 98143-20214) से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मेरे पास चिकित्सा का 51 सालों का अनुभव है और मैं किसी से कमीशन लेकर काम नहीं करती। उन्होंने साफ कहा कि जन्म के समय बच्चा स्वस्थ था लेकिन बाद में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने के कारण माता-पिता ने बच्चे को मैक्स अस्पताल मोहाली भेजा। जहां मां को हाइपरटेंशन होने के कारण बच्चा भी जन्म के बाद हाइपरटेंशन में था। जिस कारण उसके फेफड़ों में खून बहने लगी और बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया, जिसके कुछ समय बाद बच्चे की मौत हो गई।
जब इस मामले संबंधी मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. मनू शर्मा से (मोबा; 98152-30209) बार-बार बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।