वेटरनरी विश्वविद्यालय ने जलीय कृषि के लिए बायोफ्लोक विधि पर आयोजित किया प्रशिक्षण

लुधियाना 25 जुलाई 2025- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के कालेज आफ फिशरीज द्वारा तीन दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका विषय था 'जलीय कृषि के लिए बायोफ्लोक विधि'। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 15 प्रतिभागियों को मछली और झींगा पालन के बारे में जानकारी दी गई। इसमें छह महिलाओं सहित इच्छुक उद्यमियों, किसानों और छात्रों ने भाग लिया।

लुधियाना 25 जुलाई 2025- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के कालेज आफ फिशरीज द्वारा तीन दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका विषय था 'जलीय कृषि के लिए बायोफ्लोक विधि'। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 15 प्रतिभागियों को मछली और झींगा पालन के बारे में जानकारी दी गई। इसमें छह महिलाओं सहित इच्छुक उद्यमियों, किसानों और छात्रों ने भाग लिया।
डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल, वाइस चांसलर ने कहा कि हमें अब संसाधन-कुशल और टिकाऊ जलीय कृषि तकनीकों के तहत काम करना चाहिए। ऐसी तकनीकें जलवायु चुनौतियों, घटते जल स्तर और खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यधिक उपयुक्त हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन नई और जैव-सुरक्षित विधियों से हम पर्यावरण पर कम प्रभाव डालते हुए बेहतर और अधिक भोजन प्राप्त कर सकते हैं।
कालेज की डीन डॉ. मीरा डी. आंसल ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत विश्वविद्यालय में एक क्षमता निर्माण संसाधन केंद्र स्थापित किया गया है। इसके अंतर्गत, पुनर्चक्रण जलीय कृषि और बायोफ्लोक विधियों के माध्यम से जलीय उत्पादन किया जा रहा है। इन विधियों में पारंपरिक तालाब मछली पालन की तुलना में केवल 10-15 प्रतिशत पानी और भूमि की आवश्यकता होती है।
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. वनीत इंदर कौर ने कहा कि प्रशिक्षण विभिन्न तकनीकी सत्रों और व्यावहारिक प्रदर्शनों द्वारा पूरक था। तकनीकी समन्वयक डॉ. अमित मंडल और डॉ. एसएन दत्ता ने कहा कि प्रतिभागियों को सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं के बारे में पूर्ण अवगत करवाया गया।
डॉ. रविंदर सिंह ग्रेवाल, निदेशक प्रसार शिक्षा ने शिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय पशुधन, मुर्गी पालन और मछली/झींगा पालन से संबंधित कई सेवाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में युवाओं की भागीदारी से पता चलता है कि वे मत्स्य पालन के उज्ज्वल भविष्य को समझते हैं।