
दोआबा के छात्र लेखकों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
माहिलपुर- आप लिखते रहिए, मैं किताबें प्रकाशित करता रहूँगा। यह विचार पंजाब भवन सरे के संस्थापक और नई कलम नई उड़ान के संरक्षक सुखी बाठ ने कैम्ब्रिज इंटरनेशनल स्कूल फगवाड़ा में छात्रों के एक विशाल समूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि नई कलम नई उड़ान का उद्देश्य नई पीढ़ी में पंजाबी भाषा के प्रति प्रेम जगाना है ताकि कल वे अमृता प्रीतम और संत सिंह सेखों बन सकें।
माहिलपुर- आप लिखते रहिए, मैं किताबें प्रकाशित करता रहूँगा। यह विचार पंजाब भवन सरे के संस्थापक और नई कलम नई उड़ान के संरक्षक सुखी बाठ ने कैम्ब्रिज इंटरनेशनल स्कूल फगवाड़ा में छात्रों के एक विशाल समूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि नई कलम नई उड़ान का उद्देश्य नई पीढ़ी में पंजाबी भाषा के प्रति प्रेम जगाना है ताकि कल वे अमृता प्रीतम और संत सिंह सेखों बन सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि जो छात्र साहित्य प्रेमी बनते हैं, वे आदर्श नागरिक भी बनते हैं। इस प्रकार यह परियोजना छात्रों को नई रोशनी और स्वस्थ जीवन प्रदान कर रही है। इस अवसर पर दोआबा के चार जिलों के छात्रों द्वारा लिखित पुस्तकों का भी लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर नवांशहर, होशियारपुर, कपूरथला और जालंधर से नई कलम नई उड़ान परियोजना से जुड़े संपादक और मार्गदर्शक शिक्षक गरिमामयी ढंग से उपस्थित थे।
साहित्य सृजन करने वाले छात्रों और शिक्षकों को पदक, प्रमाण पत्र और पुस्तकें प्रदान की गईं। प्रोजेक्ट इंचार्ज ओंकार सिंह तेजे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य 100 पुस्तकें प्रकाशित करना है। देश-विदेश में जहाँ भी पंजाबी रहते हैं, वहाँ यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। पाकिस्तान के विभिन्न जिलों में भी इस प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। प्रोजेक्ट का सारा खर्च श्री सुखी बाठ उठा रहे हैं। उन्होंने इस प्रोजेक्ट से जुड़े अध्यापकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों को और अधिक साहस के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
शिरोमणि बाल साहित्य लेखक बलजिंदर मान, जो प्रेसीडियम के सदस्य हैं, ने इन प्रयासों की सराहना की और कहा कि विद्यार्थियों को लिखने से पहले जितना हो सके उतना पढ़ना चाहिए ताकि वे ज्ञान-विज्ञान में शब्दावली और अनुभव अर्जित कर सकें। बाल साहित्य की पुस्तकें और पत्रिकाएँ पढ़ने वाले विद्यार्थी लेखन में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
जिला होशियारपुर भाषा अनुसंधान अधिकारी डॉ. जसवंत राय ने इस प्रोजेक्ट के आयोजकों को बधाई दी और कहा कि ऐसे प्रयास न केवल हमारी मातृभाषा पंजाबी को बढ़ावा देते हैं बल्कि हमारे अस्तित्व को भी स्वस्थ बनाते हैं। इस प्रोजेक्ट को वैश्विक स्तर पर ले जाना अपने आप में एक कीर्तिमान है जिसके लिए सुखी बाठ और आयोजकों को सभी का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।
अशोक मेहरा ने रक्तदान, अंगदान और देहदान पर प्रकाशित हो रही पुस्तक के बारे में जानकारी दी और कहा कि इस दुनिया से जाने के बाद भी जीने का एकमात्र रास्ता अपने अंगों, शरीर या रक्तदान से ही संभव है।
इस अवसर पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल पंजाबी की एकमात्र संतान निक्किया करुम्बलन की नवीनतम पत्रिका का विमोचन भी किया गया। जिसके बारे में बोलते हुए राज्य पुरस्कार प्राप्त अध्यापक अजय कुमार खटकड़, राज्य पुरस्कार प्राप्त नितन सुमन, डॉ. केवल राम, अंजू वी. रत्ती, राम तीरथ परमार, युवा पुरस्कार प्राप्त वंधना हीर और जसवीर सिद्धू ने कहा कि यह पत्रिका हर घर और हर स्कूल तक पहुंचनी चाहिए ताकि विद्यार्थी समय के साथ कदमताल कर सकें।
मंच संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही कमलेश कौर संधू ने अपने अद्भुत शब्दों से सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर तीनों जिलों से चयनित विद्यार्थियों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया। विद्यार्थियों ने मौलिक कविताएं, लेख और कहानियां पेश कर यह एहसास दिलाया कि वे ही सही मायने में पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के वारिस हैं।
इस अवसर पर रवनजोत कौर सिद्धू, मक्खन बखलौर, देस राज, राजेश कुमार भगत, सीमा रानी, डॉ. वीना अरोड़ा, शमा रानी, अरविंदर कौर, सरबजीत कौर, बंधना सैनी, योगेश कौल जोगी, गीतांजलि, मास्टर प्रदीप सिंह मौजी, केवल कौर, सत प्रकाश, परमिला देवी, हरवीर मान, सुरिंदर कौर, मनजिंदर कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र, अभिभावक और मार्गदर्शक शिक्षक उपस्थित थे।
बच्चों के साहित्य उत्सव को शानदार रंग देने में साहिबा जीतन कौर, हरजिंदर सिंह नियाना, दलजीत कौर, सिमरत कौर और सुखदेव सिंह बोहानी आदि ने अहम योगदान दिया।
मुख्य संपादक हरजिंदर सिंह नियाणा ने सभी का धन्यवाद किया और कहा कि पंजाबी होने के नाते यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपनी मातृभाषा पंजाबी की समृद्धि में योगदान दें।
