
संजीवन की नव-प्रकाशित व्यंग्यात्मक शैली की पुस्तक ‘चूँढियाँ’ पर भावपूर्ण चर्चा
एसएएस नगर, 9 जून- स्वप्न फाउंडेशन, पटियाला, और पंजाब कला परिषद, चंडीगढ़, द्वारा पंजाब कला भवन, चंडीगढ़ में आयोजित एक समारोह के दौरान संजीवन सिंह की नव-प्रकाशित साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक व्यंग्यात्मक शैली की पुस्तक ‘चूँढियाँ’ पर भावपूर्ण चर्चा का आयोजन किया गया।
एसएएस नगर, 9 जून- स्वप्न फाउंडेशन, पटियाला, और पंजाब कला परिषद, चंडीगढ़, द्वारा पंजाब कला भवन, चंडीगढ़ में आयोजित एक समारोह के दौरान संजीवन सिंह की नव-प्रकाशित साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक व्यंग्यात्मक शैली की पुस्तक ‘चूँढियाँ’ पर भावपूर्ण चर्चा का आयोजन किया गया।
इस आयोजन में प्रमुख लेखक, विद्वान, चिंतक, रंगमंच और फिल्म अभिनेता उपस्थित थे। प्रसिद्ध नाटककार और चिंतक डॉ. सतीश कुमार वर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जबकि चर्चित कवि जसवंत जंजर (निदेशक, भाषा विभाग) ने अध्यक्षता की। विशेष अतिथियों में आलोचक और चिंतक प्रोफेसर राजिंदरपाल सिंह बराड़, डॉ. योगराज अंग्रीश (उपाध्यक्ष, पंजाब कला परिषद), डॉ. चरणजीत कौर बराड़ और सुखराज (पूर्व आईपीएस) शामिल हुए।
मुख्य वक्ता प्रो. हरविंदर सिंह ने कहा कि यह पुस्तक व्यंग्य से अधिक शिकायतों के करीब है। उन्होंने उल्लेख किया कि पुस्तक में राजनीतिक चूँढियों पर तो चर्चा की गई है, लेकिन धार्मिक चूँढियों को बढ़ाने से परहेज किया गया है। डॉ. दविंदर सिंह बोहा ने कहा कि संजीवन ने शारीरिक चूँढियाँ नहीं, बल्कि मानसिक चूँढियाँ बुनी हैं, जो चीखें तो नहीं निकालतीं, लेकिन जागृति अवश्य प्रदान करती हैं।
मुख्य अतिथि डॉ. सतीश कुमार वर्मा ने पुस्तक की व्यंग्य शैली पर सवाल उठाए, लेकिन साथ ही कहा कि रचनाएँ अच्छी हैं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में जसवंत जंजर ने कहा कि पूरा समारोह बहुत सार्थक रहा। हरविंदर के पेपर पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि पेपर अच्छा था और उन्होंने युवाओं को खुलकर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
स्वर्णजीत सवी ने पुस्तक के बारे में कहा कि संजीवन का कहने का अपना तरीका है और इस पुस्तक में साहित्यिक आनंद है। उन्होंने प्रूफ की कुछ गलतियों की ओर भी ध्यान दिलाया।
सुखराज सिंह, डॉ. चरणजीत कौर बराड़, डॉ. योगराज, डॉ. राजिंदरपाल सिंह बराड़ और डॉ. लाभ सिंह खीवा ने भी पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त किए। आलोचकों और उनके कर्तव्यों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह व्यंग्य से अधिक प्रतिक्रिया है।
लेखक और पत्रकार प्रीतम रूपाल ने सभी आए हुए मेहमानों का धन्यवाद किया। समारोह का संचालन कवि और निबंधकार जगदीप सिद्धू ने किया।
इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा प्रसिद्ध लेखक और विद्वान सुरजीत कौर बैंस, जंग बहादुर गोयल, गुरदेव चौहान, बाबू राम दीवाना, डॉ. अवतार सिंह पाल, अवतार सिंह पंज, कमलजीत बनवैत, परमजीत मान, सुरजीत सुमन, परमजीत परम, पाल अजनबी, गुरजोध कौर, भूपिंदर मलिक, गुरदीप सिंह, बलजीत कौर, मंजीत बुल, साहित्यिक रुचि वाले अकाली नेता चरणजीत सिंह बराड़, साथ ही रंगमंच और फिल्म अभिनेता रमन ढिल्लों, अनीता शब्दीश, जसबीर ढिल्लों, नरिंदर पाल सिंह नीना, सुधा मेहता, इप्टा पंजाब की उपाध्यक्ष डॉ. अमन भोगल, अमृतसर जिला अध्यक्ष सतनाम मुधल और सरघी परिवार के रंगकर्मी संजीव दीवान ‘कुक्कू’, नरिंदर नसरीन, कुलविंदर बावा, सरबप्रीत, हरिंदर हर, गुरविंदर बैदवान, रित्तूराग, प्रियाराग कौर, रिशमराग सिंह, साहिल नेगी, कंवलजीत सिंह डडहेड़ी, एडवोकेट चरणजीत कौर, उज्ज्वल और पूरवा आदि ने हिस्सा लिया।
