
वरिष्ठ पत्रकार दलजीत अजनोहा से साक्षात्कार: स्वामी विश्वानंद जी ने ध्यान की शक्ति और धर्मों के बीच एकता पर जोर दिया
कालेश्वर मंदिर (हिमाचल प्रदेश)- हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार दलजीत अजनोहा ने हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विश्वानंद जी से विशेष और ज्ञानवर्धक बातचीत की। बातचीत आध्यात्मिकता, ध्यान की शक्ति और सभी धर्मों में मौजूद सामान्य सत्य पर केंद्रित थी।
कालेश्वर मंदिर (हिमाचल प्रदेश)- हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार दलजीत अजनोहा ने हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विश्वानंद जी से विशेष और ज्ञानवर्धक बातचीत की। बातचीत आध्यात्मिकता, ध्यान की शक्ति और सभी धर्मों में मौजूद सामान्य सत्य पर केंद्रित थी।
स्वामी विश्वानंद जी ने कहा कि आज के भागदौड़ भरे और तनावपूर्ण समय में ध्यान केवल एक आध्यात्मिक अभ्यास नहीं है, बल्कि आंतरिक शांति और मन की शुद्धि प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है।
उन्होंने कहा, "जब मन शांत होता है, तब आत्मा की वास्तविक यात्रा शुरू होती है। ध्यान कोई अनुष्ठान नहीं है, यह मुक्ति की ओर पहला कदम है।"
स्वामी जी ने यह भी कहा कि यद्यपि हर धर्म का मार्ग अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही है - आध्यात्मिक मुक्ति और परम सत्य की प्राप्ति।
“मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हर धर्म एक ही बात सिखाता है - आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्त करना और उसे परम सत्य से जोड़ना।” स्वामीजी ने आधुनिक समाज में बढ़ती भौतिकता और आंतरिक खोज से दूरी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में ध्यान और आध्यात्मिक अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है ताकि व्यक्ति अपनी वास्तविक पहचान से फिर से जुड़ सके।
इस बैठक के दौरान दलजीत अजनोहा ने सार्थक और विचारोत्तेजक प्रश्न पूछे, जिनका स्वामीजी ने बड़ी गहराई और बुद्धिमत्ता के साथ उत्तर दिया। ये उत्तर न केवल कालातीत हैं, बल्कि आज के समय के लिए भी बहुत प्रासंगिक हैं।
इस बातचीत ने एक महान सत्य को दोहराया - आध्यात्मिक जागरूकता धर्म, जाति या पंथ पर निर्भर नहीं करती है, बल्कि व्यक्ति की सच्ची खोज और मन की एकाग्रता पर निर्भर करती है।
