
कुदरत का करिश्मा, इंसानी खोपड़ी पर लिखा खुदा का नाम।
नवांशहर- कभी-कभी हम खुदा पर यकीन नहीं करते कि खुदा है या नहीं, लेकिन खुदा हमें अपने संकेत दिखाकर यकीन करने पर मजबूर कर देता है। ऐसा ही एक चमत्कार रेलवे रोड नवांशहर में हुआ, जब एक हिंदू व्यक्ति अशोक कुमार पुत्र तरसेम लाल का निधन हो गया। अगले दिन जब उसका भाई दीपक कुमार और अन्य रिश्तेदार उसकी अस्थियां लेने गए तो उसकी खोपड़ी सलामत थी और उसकी आंखों में अनोखी चमक थी।
नवांशहर- कभी-कभी हम खुदा पर यकीन नहीं करते कि खुदा है या नहीं, लेकिन खुदा हमें अपने संकेत दिखाकर यकीन करने पर मजबूर कर देता है। ऐसा ही एक चमत्कार रेलवे रोड नवांशहर में हुआ, जब एक हिंदू व्यक्ति अशोक कुमार पुत्र तरसेम लाल का निधन हो गया। अगले दिन जब उसका भाई दीपक कुमार और अन्य रिश्तेदार उसकी अस्थियां लेने गए तो उसकी खोपड़ी सलामत थी और उसकी आंखों में अनोखी चमक थी।
खोपड़ी पर अरबी में खुदा का नाम लिखा (उत्कीर्ण) मिला, लैला-हा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह, जिसका मतलब है कि अल्लाह के अलावा कोई भी इबादत के लायक नहीं है, हजरत मुहम्मद (स.अ.व.) अल्लाह के रसूल हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि अशोक कुमार एक हिंदू हैं, जो कभी किसी अरब देश में नहीं गए।
यह चमत्कार ही है कि दाह संस्कार के बाद भी उनकी खोपड़ी से पहली इस्लामी आयत 'लैला-हा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह' नहीं मिट पाई और खोपड़ी जस की तस बनी रही। खोपड़ी के दूसरी तरफ अरबी में भी कुछ लिखा हुआ था, जिसे खोपड़ी को उठाकर तोड़ने पर पढ़ा नहीं जा सका। श्मशान घाट के पुजारी अश्विनी कुमार भी हैरान हैं कि उन्होंने पहले कभी ऐसी लिखावट नहीं देखी।
जगबानी पत्रकार ने खुद जाकर देखा तो पता चला कि श्मशान घाट चारदीवारी के अंदर है और वहां प्रशासकों की लगातार निगरानी रहती है। अगर अशोक कुमार के घर की बात करें तो यह करीब दो सौ साल पुराना है और हो सकता है कि पहले यह मुस्लिम घर रहा हो, लेकिन इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है।
इस संबंध में अशोक कुमार की पत्नी ललिता रानी, भाई दीपक कुमार, भाभी सुपर्णा, बहन सोनिया वर्मा और बहनोई राकेश कुमार वर्मा ने जानकारी देते हुए और उनकी अस्थियां दिखाते हुए कहा कि ऐसा पहली बार देखने को मिला है। अस्थियां लॉकर नंबर चार में रखी गई हैं।
जब हमने देखा कि बैग से खून टपक रहा था और बैग फटा हुआ था, जो शायद किसी हड्डी से फटा होगा। उन्होंने आगे कहा कि जब हम राख इकट्ठा करने गए, तो यह अजीब लगा कि उनकी सारी हड्डियां एक मूर्ति की तरह पड़ी थीं।
