राष्ट्रीय लोक अदालत में 19,436 मामलों का मौके पर ही निपटारा किया गया।

होशियारपुर - पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं अथॉरिटी एसएएस नगर के दिशा-निर्देशों पर जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी होशियारपुर द्वारा आज जिले में वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में एनआई अधिनियम की धारा 138 (लम्बित और मुकदमे-पूर्व बैंक वसूली मामले और श्रम विवाद मामले), मोटर दुर्घटना दावे

होशियारपुर - पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं अथॉरिटी एसएएस नगर के दिशा-निर्देशों पर जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी होशियारपुर द्वारा आज जिले में वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में एनआई अधिनियम की धारा 138 (लम्बित और मुकदमे-पूर्व बैंक वसूली मामले और श्रम विवाद मामले), मोटर दुर्घटना दावे (एसएसीटी), बिजली और पानी के बिल (गैर-परक्राम्य को छोड़कर), वैवाहिक विवाद, यातायात चालान, राजस्व मामले और अन्य सिविल, कम गंभीर आपराधिक मामले और घरेलू विवाद आदि के तहत मामलों का निपटारा किया गया।
यह लोक अदालत जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजिन्द्र अग्रवाल के कुशल नेतृत्व में आयोजित की गई।
इस लोक अदालत में होशियारपुर में कुल 19 बैंचों का गठन किया गया, जिनमें से होशियारपुर न्यायिक अदालत में 8 बैंच, सब-डिवीजन दसूहा में 2 बैंच, मुकेरियां में 2 बैंच तथा गढ़शंकर में 2 बैंच तथा रेवेन्यू अदालत में 5 बैंचों का गठन किया गया। होशियारपुर जिले की लोक अदालत में 23,658 मामलों की सुनवाई की गई तथा 19,436 मामलों का मौके पर निपटारा किया गया, साथ ही पक्षों द्वारा कुल 8,870,264,341 रुपये के अवॉर्ड पारित किए गए।
इस राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर पुलिस विभाग के कर्मचारियों द्वारा ट्रैफिक चालान का भुगतान करने आए लोगों के लिए विशेष हेल्प डेस्क स्थापित किए गए ताकि अदालतों में दायर ट्रैफिक चालान का भुगतान आसानी से किया जा सके। इस राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजिंदर अग्रवाल तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नीरज गोयल ने लोक अदालत की बेंचों का दौरा किया।
इस लोक अदालत को बेहतर ढंग से सम्पन्न कराने के लिए बार एसोसिएशन होशियारपुर द्वारा पूर्ण सहयोग प्रदान किया गया। नीरज गोयल ने लोगों से अपील की कि वे लोक अदालतों में मामले दर्ज कराकर अधिक से अधिक लाभ उठाएं, क्योंकि इससे समय और धन की बचत होती है। लोक अदालत में लिए गए निर्णय अंतिम होते हैं तथा इसके विरुद्ध कोई अपील नहीं होती, इससे दोनों पक्षों में आपसी प्रेम बढ़ता है।