आईएफटू की हड़ताल के चलते नवांशहर में रैली और प्रदर्शन-राष्ट्रपति को संबोधित मांग पत्र जिला प्रशासन को सौंपा

नवांशहर, 20 मई - भारतीय ट्रेड यूनियन फेडरेशन (आईएफटीयू) की हड़ताल के बाद नवांशहर में रैली व प्रदर्शन किया गया। स्थानीय बस स्टैण्ड पर रैली निकालने के बाद शहर में प्रदर्शन किया गया तथा राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर रैली को संबोधित करते हुए इफ्टू पंजाब के राज्य प्रेस सचिव जसबीर दीप ने कहा कि मजदूर वर्ग की ताकत कमजोर होने पर शासक मजदूरों के हितों पर हमला करते हैं।

नवांशहर, 20 मई - भारतीय ट्रेड यूनियन फेडरेशन (आईएफटीयू) की हड़ताल के बाद नवांशहर में रैली व प्रदर्शन किया गया। स्थानीय बस स्टैण्ड पर रैली निकालने के बाद शहर में प्रदर्शन किया गया तथा राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर रैली को संबोधित करते हुए इफ्टू पंजाब के राज्य प्रेस सचिव जसबीर दीप ने कहा कि मजदूर वर्ग की ताकत कमजोर होने पर शासक मजदूरों के हितों पर हमला करते हैं। 
वर्तमान में देश के मजदूर वर्ग का एक बड़ा हिस्सा अर्थशास्त्री, सुधारवादी और संशोधनवादी ट्रेड यूनियनों के प्रभाव में है, जो मजदूर वर्ग को आवश्यक मार्गदर्शन देने के बजाय मजदूरों को गुमराह कर रहे हैं। उनकी यह प्रथा पूंजीपतियों की सेवा कर रही है। उन्होंने कहा कि देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 20 मई को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था, लेकिन उन्होंने 15 मई को हड़ताल स्थगित करने की घोषणा की, वह भी ऐसे समय में जब देश का मजदूर वर्ग हड़ताल की पूरी तैयारी में था। 
इन ट्रेड यूनियनों के पास हड़ताल स्थगित करने का कोई ठोस आधार नहीं है। हड़ताल स्थगित होने से देश के मजदूरों में निराशा फैल गई है। उन्होंने कहा कि आईएफटीयू की केंद्रीय कमेटी द्वारा मजदूरों के हितों के लिए 20 मई को हड़ताल पर जाने के फैसले को बरकरार रखा गया, जिसे पंजाब में भी लागू किया गया। उन्होंने कहा कि 1991 में नई आर्थिक नीतियों की शुरुआत और राम मंदिर आंदोलन का चरम, बाबरी मस्जिद का विध्वंस और फिर भयानक सांप्रदायिक दंगे। 
इनका समय भी एक ही है और यह अप्राकृतिक, यानी योजनाबद्ध नहीं है। सांप्रदायिकता और अति-राष्ट्रवाद का जुनून लोगों को भावनात्मक मुद्दों में उलझाए रखता है। पूंजीपतियों के हितों के प्रति वफादारी बनाए रखने के लिए यह एक कारगर हथियार है। केन्द्र में सत्तासीन फासीवादी लोग इनका बहुत कुशलता से उपयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर आज मजदूर वर्ग को न केवल आक्रामक कॉरपोरेट वर्ग का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि हिंदू फासीवादी ताकतों का भी सामना करना पड़ रहा है।
 इफ्टू के जिला अध्यक्ष गुरदयाल रक्कड़, जिला सचिव परवीन कुमार निराला, आशा वर्कर एवं फैसिलिटेटर यूनियन की जिला अध्यक्ष शकुंतला सरोय, राजविंदर कौर कट, रेहड़ी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष हरे राम, किशोर कुमार, निर्माण मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश व ग्रामीण मजदूर यूनियन के जिला नेता कमलजीत सनावा ने कहा कि आज मजदूर वर्ग के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एक उग्र संगठित श्रमिक आंदोलन खड़ा करने की आवश्यकता है। 
उन्होंने कहा कि चारों श्रम संहिताएं मोदी सरकार द्वारा मजदूर वर्ग पर घातक हमला है। ये चार श्रम संहिताएं हैं- 'औद्योगिक संबंध संहिता-2020', 'व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य शर्तें संहिता-2020', 'सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020' और 'मजदूरी संहिता-2019'। ये श्रम संहिताएं श्रमिकों के संगठित होने, संघर्ष करने और हड़ताल करने जैसे बुनियादी अधिकारों पर डकैती हैं।
 जिससे यह साबित होता है कि मोदी सरकार के लिए मजदूर वर्ग पूंजीपतियों के मुनाफे का आधार मात्र है। नेताओं ने कहा कि मजदूर वर्ग के कार्यस्थल बेहद असुरक्षित हैं, जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाओं में मजदूरों की मौतें होती रहती हैं, लेकिन सरकारें दोषी नियोक्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाती हैं। कच्चे कर्मचारियों और स्कीम वर्करों के लिए नौकरियों की कोई गारंटी नहीं है।
नेताओं ने चारों श्रम संहिताओं को निरस्त करने, मौजूदा श्रम कानूनों को लागू करने, औद्योगिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय करने, सुरक्षा उल्लंघनों को रोकने में लापरवाही बरतने वाले कारखाना निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने, सार्वजनिक संस्थानों और संपत्तियों का निजीकरण, बिक्री और भुगतान रोकने की मांग की।
श्रम विभागों को सुदृढ़ बनाना और उनमें पर्याप्त स्टाफ की व्यवस्था करना, श्रम न्यायालयों और न्यायाधिकरणों का समुचित संचालन करना,
पुरानी पेंशन योजना लागू करना, नई पेंशन योजना रद्द करना, आशा, मिड-डे-मील, आंगनवाड़ी व अन्य केंद्रीय योजनाओं के तहत काम करने वाली महिलाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा व अधिकार देना,
देशभर में न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रतिमाह किया जाए, ठेके पर काम कर रहे श्रमिकों को नियमित किया जाए, "समान काम के लिए समान वेतन" नियम लागू किया जाए, सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम पेंशन न्यूनतम वेतन के बराबर की जाए,
प्रत्येक जिले में ई.एस.आई. अस्पतालों का निर्माण, परिवहन कर्मचारियों के लिए बोर्ड का निर्माण,
उन्होंने राज्यों के बीच प्रवासी श्रमिक अधिनियम को लागू करने, विदेशों में काम कर रहे भारतीय श्रमिकों का अनिवार्य पंजीकरण करने तथा विदेशी सरकारों के साथ समझौता करके उनके वेतन और सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
रैली में एक प्रस्ताव पारित कर भूमि अधिग्रहण संघर्ष समिति के नेताओं, कार्यकर्ताओं और ग्रामीण मजदूर यूनियन नेताओं की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की गई। बाद में शहर में विरोध प्रदर्शन किया गया और राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया।
इस मौके पर हरी लाल, जगीरा बैंस, भरत कुमार, ऑटो यूनियन नेता तरनजीत, राजू, राजिंदर, तेज राज, आजाद, मुकेश कुमार, सर्वेश गुप्ता, गोपाल, घनैया आदि नेता भी मौजूद थे।