देश भगत यादगार कमेटी ने कहा कि लोग युद्ध नहीं, शांति चाहते हैं।

जालंधर- देश भगत यादगार कमेटी के अध्यक्ष अजमेर सिंह, महासचिव पृथीपाल सिंह मरीमेघा और सांस्कृतिक विंग के संयोजक अमोलक सिंह ने एक लिखित प्रेस बयान में कहा है कि एक तरफ पंजाब के लोग युद्ध की आशंका से गहरे सदमे में हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों के लोग पलायन करने को मजबूर हैं और दूसरी तरफ युद्ध के बादलों के पीछे छिपे हमारे देश के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों, खासकर पंजाब के आबादकारों और आम किसानों की जमीनों को छीनने के लिए ऊपर से किए जा रहे हमलों के कारण लोग खुद को दोहरे युद्ध की मार से पीड़ित महसूस कर रहे हैं।

जालंधर- देश भगत यादगार कमेटी के अध्यक्ष अजमेर सिंह, महासचिव पृथीपाल सिंह मरीमेघा और सांस्कृतिक विंग के संयोजक अमोलक सिंह ने एक लिखित प्रेस बयान में कहा है कि एक तरफ पंजाब के लोग युद्ध की आशंका से गहरे सदमे में हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों के लोग पलायन करने को मजबूर हैं और दूसरी तरफ युद्ध के बादलों के पीछे छिपे हमारे देश के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों, खासकर पंजाब के आबादकारों और आम किसानों की जमीनों को छीनने के लिए ऊपर से किए जा रहे हमलों के कारण लोग खुद को दोहरे युद्ध की मार से पीड़ित महसूस कर रहे हैं।
इस तरह से भाजपा सरकार वर्तमान में जंगलों और पहाड़ों में अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले आदिवासियों और लोगों का बड़े पैमाने पर शिकार कर रही है, सभी कानून और नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युद्ध, लाठी, गोली लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं है, बल्कि समस्याओं को बढ़ाने और उन्हें और भी जटिल बनाने का काम है।
 उन्होंने कहा कि ऐसे समय में पंजाब के लोगों का हाथ थामने की बजाय अंध राष्ट्रवाद के बीच और 'युद्ध' की आड़ में लोगों को इकट्ठा होने, विरोध जताने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, ठीक 'कोरोना' के दौर की तरह, जिसका ताजा उदाहरण भारत में 'द वायर' का बंद होना है, जो बेहद निंदनीय घटना है। उल्लेखनीय है कि द वायर के संपादक सिद्धार्थ रंजन गदरी बाबाओं के मेले में मुख्य वक्ता के तौर पर गए थे और प्रभावी संदेश दिया था। 
देश भगत यादगार कमेटी ने पंजाब के लोगों से विशेष रूप से अपील की है कि वे सांप्रदायिक उग्र राष्ट्रवाद की हवा के प्रति सचेत रहें, आपसी भाईचारा बनाए रखें तथा सरकार से पुरजोर मांग करें कि युद्ध का माहौल बनाने वाली ताकतों पर लगाम कसी जाए तथा शांतिप्रिय, युद्ध विरोधी और जन-पक्षधर ताकतों की आवाज दबाने वाली ताकतों पर नकेल न कसी जाए।