
पंजाबी लेखक सभा ने गुरदेव पाल की आत्मकथा का विमोचन किया
चंडीगढ़: पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़ ने आज पंजाब कला भवन में प्रिंसिपल गुरदेव पाल की आत्मकथा "रूह दी दूज: धड़कन दा रोज़नामचा" का विमोचन किया, जिसमें पंजाबी साहित्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण हस्तियों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और पाल परिवार के सदस्यों ने भाग लिया।
चंडीगढ़: पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़ ने आज पंजाब कला भवन में प्रिंसिपल गुरदेव पाल की आत्मकथा "रूह दी दूज: धड़कन दा रोज़नामचा" का विमोचन किया, जिसमें पंजाबी साहित्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण हस्तियों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और पाल परिवार के सदस्यों ने भाग लिया।
पुस्तक के विमोचन के समय लेखक गुरदेव पाल के अलावा कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. स्वराजबीर ने की, मुख्य अतिथि डॉ. सरबजीत सिंह, विशिष्ट अतिथि डॉ. दीपक मनमोहन सिंह, मुख्य वक्ता गुरनाम कंवर, पंजाबी लेखक सभा के अध्यक्ष दीपक शर्मा चनारथल, महासचिव भूपिंदर सिंह मलिक, ए.एस. पाल, राहत विर्क और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रख्यात लेखक और विचारक गुरनाम कंवर ने कहा कि लेखक के भीतर की क्रांति शब्दों के माध्यम से सामने आई है।
दीपक शर्मा चनारथल ने कहा कि आज के दौर में ऐसा प्यार मिलना बहुत मुश्किल है जो इस पुस्तक के माध्यम से दिखाई देता है। भूपिंदर सिंह मलिक ने कहा कि यह पुस्तक सत्य का अक्षर है। प्रख्यात विचारक एवं शिक्षक डॉ. दीपक मनमोहन सिंह ने कहा कि धड़कनों का हिसाब रखने के लिए बड़ा दिल चाहिए।
अनूठी शैली में लिखी आत्मकथा "रूह दी दूज: धड़कनों का रोजनामचा" की लेखिका प्रिंसिपल गुरदेव पाल ने कहा कि प्रेम संबंधों का सच्चाई से वर्णन करते हुए उन्होंने हमेशा रोशनी का दामन थामकर इसे लिखा। पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के अध्यक्ष डॉ. सरबजीत सिंह ने कहा कि कोई भी विचारधारा भावनाओं के बिना अधूरी है।
प्रख्यात लेखक, आलोचक, विचारक एवं नाटककार डॉ. स्वराजबीर ने कहा कि गुरदेव पाल ने अपनी भावनाओं पर कोई रंग नहीं डाला और संकीर्ण स्वार्थों से मुक्त होकर इस पुस्तक की रचना की। मनमोहन सिंह दाऊं ने अपनी एक कविता के माध्यम से लेखक के बिखरे पदचिन्हों को श्रद्धांजलि दी।
सीनियर एडवोकेट मनजीत सिंह खैरा ने कहा कि समय और परिस्थितियों से उभरी यह सच्चाई पूजनीय है। डॉ. कंवलजीत कौर ढिल्लों ने कहा कि गुरदेव पाल सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करते हैं। अमरजीत कौर कोमल ने कहा कि लेखिका की सहज शैली अद्वितीय है। बलकार सिद्धू ने इसे प्रथम श्रेणी की आत्मकथा कहा। सिरी राम अर्श ने इसे प्रेम का दस्तावेज कहा। डॉ. दविंदर सिंह बोहा ने कहा कि आत्मा के पोषण का एहसास ही इस पुस्तक की उपलब्धि है।
परमजीत कौर परम ने लेखिका को दृढ़ निश्चय के साथ अपनी बात कहने में सक्षम बताया। उभरते चित्रकार मीत रंगरेज ने पुस्तक के कवर का चित्र लेखक गुरदेव पाल को भेंट किया। पंजाबी लेखक सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पाल अजनबी ने अपने आभार शब्दों में उन्हें इस अनूठे प्रयास के लिए बधाई दी।
