
साहित्य विज्ञान केंद्र (पंजीकृत) चंडीगढ़ ने दर्शन तिउना द्वारा लिखित पंजाबी गीत संग्रह ‘लप्प कु हासे, गिठ कु रोसे’ का विमोचन किया
साहित्य विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ ने टी.एस. सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी चंडीगढ़ के सहयोग से दर्शन तिउना द्वारा लिखित पंजाबी गीत संग्रह ‘लप्प कु हासे, गिठ कु रोसे’ का विमोचन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री दीपक शर्मा चनारथल (अंतरराष्ट्रीय पत्रकार, लेखक और पंजाबी लेखक संघ के अध्यक्ष) ने की। जगदीश सिंह खुशदिल (पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश) मुख्य अतिथि थे और नाथविंदर सिंह पंडोरी (सेवानिवृत्त इंजीनियर) विशेष अतिथि थे। केंद्र के निष्ठावान सदस्यों ने इन सम्मानित हस्तियों को फूल मालाएं पहनाकर सम्मानित किया।
साहित्य विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ ने टी.एस. सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी चंडीगढ़ के सहयोग से दर्शन तिउना द्वारा लिखित पंजाबी गीत संग्रह ‘लप्प कु हासे, गिठ कु रोसे’ का विमोचन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री दीपक शर्मा चनारथल (अंतरराष्ट्रीय पत्रकार, लेखक और पंजाबी लेखक संघ के अध्यक्ष) ने की। जगदीश सिंह खुशदिल (पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश) मुख्य अतिथि थे और नाथविंदर सिंह पंडोरी (सेवानिवृत्त इंजीनियर) विशेष अतिथि थे। केंद्र के निष्ठावान सदस्यों ने इन सम्मानित हस्तियों को फूल मालाएं पहनाकर सम्मानित किया।
संस्था की कार्यकारी अध्यक्षा श्रीमती परमजीत कौर परम ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और आज के कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। अध्यक्षमंडल द्वारा दर्शन तिउना द्वारा लिखित पंजाबी गीत संग्रह ‘लप्प की हासे, गित कु रोसे’ को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस समय उनके पारिवारिक सदस्य भी मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. अवतार सिंह पतंग ने गीतों के बारे में विस्तार से बताया और लेखक के गीतों की खूब सराहना की।
जगदीप सिद्धू ने कहा कि ये गीत बहुत ही सराहनीय हैं क्योंकि ये रहताल से जुड़े हैं। विशेष अतिथि नथविंदर सिंह पंडोरी ने कहा कि पुस्तक में शामिल गीत बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। मुख्य अतिथि जगदीश सिंह खुशदिल ने गजल और गीत की अलग-अलग विधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि लेखक बनना, अपनी रचनाओं को कागज पर उतारना और पाठकों तक पहुंचाना बहुत कठिन है।
अध्यक्षता कर रहे दीपक शर्मा चनारथल ने आज के आयोजन को बातचीत और गीत दोनों का आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि अपना रास्ता खुद तय करें, इससे आपको मंच भी मिलता है और सफलता भी मिलती है। बलविंदर ढिल्लों, प्रताप पारस, भरपूर सिंह, रतन बाबक वाला, हरिंदर हर, गुरजोध कौर और दविंदर कौर ढिल्लों ने दर्शन टियूणा की पुस्तक से बहुत ही सुंदर गीत गाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया।
दर्शन सिंह सिद्धू ने पुस्तक के कई गीतों का बहुत बढ़िया विश्लेषण किया। लेखक के परिवार के सदस्य भी कार्यक्रम में शामिल हुए। डॉ. अवतार सिंह पतंग ने आए हुए सभी मेहमानों का धन्यवाद किया। दविंदर कौर ढिल्लों ने मंच का बेहतरीन संचालन किया।
भूपिंदर सिंह भागो माजरा ने पूरे कार्यक्रम की बेहतरीन कवरेज की। दर्शन टियूना ने पुस्तक के गीत गाने वाले गायकों को सम्मानित भी किया।
इसके अलावा राजविंदर सिंह गड्डू, भूपिंदर मलिक, पम्मी सिद्धू संधू, मलकीयत बसरा, हरभजन कौर ढिल्लों, जगदीप सिद्धू, प्रलाद सिंह, निर्मल सिंह, हरजीत सिंह, सुरजीत सुमन, राजिंदर धीमान, पाल अजनबी, बहादर सिंह गोसल, बलजीत कौर बटर ढिल्लों, सुरिंदर गिल, नरिंदर लोंगिया, राजिंदर रेनू, लाभ सिंह लेहली, सरबजीत सिंह, गुरमेल सिंह मौजोवाल, स्वराज संधू। इस कार्यक्रम में इंद्रजीत सिंह जावा, सुनीता रानी, कृष्णा अत्री, सिमरजीत ग्रेवाल, जशनदीप शर्मा, अर्शदीप शर्मा, हरबंस सोढ़ी, नीलम नारंग, प्यारा सिंह राही, सुखप्रीत सिंह, लाली, बाबू राम दीवान, अमरजीत बठलाना, दिलबाग सिंह, तरसेम राज, तिलक सेठी, डॉ. मंजीत सिंह बल और कंचन भल्ला ने भाग लिया।
