पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की महिला कर्मचारियों द्वारा मनाया गया तीज उत्सव

एसएएस नगर, 26 जुलाई, 2025: कल पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सभी महिला कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा तीज उत्सव बड़े ही मनमोहक अंदाज़ में मनाया गया। इस अवसर पर पशुपालन विभाग, पंजाब की पूर्व निदेशक संगीता तूर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उनके आगमन से यह पावन प्रांगण और भी सुंदर हो गया।

एसएएस नगर, 26 जुलाई, 2025: कल पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सभी महिला कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा तीज उत्सव बड़े ही मनमोहक अंदाज़ में मनाया गया। इस अवसर पर पशुपालन विभाग, पंजाब की पूर्व निदेशक संगीता तूर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उनके आगमन से यह पावन प्रांगण और भी सुंदर हो गया।
उन्होंने इस कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया और कार्यक्रम की सराहना भी की तथा कहा कि परमिंदर कौर द्वारा तैयार किया गया तीज कार्यक्रम अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने पंजाबी विषय विशेषज्ञ परमिंदर कौर को बधाई दी और कहा कि कार्यालयीन कार्यों में व्यस्त होने के बावजूद इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन हमारे समाज और हमारी पुरानी सामाजिक रीति-रिवाजों को जीवित रखने का एक बहुत अच्छा प्रयास है।
इस अवसर पर उप सचिव डॉ. गुरमीत कौर भी इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुईं और लोगों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का आह्वान किया। उप निदेशक नवनीत कौर ने भी कार्यक्रम की प्रशंसा की और प्रस्तुत किए गए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अपनी समृद्ध विरासत से जुड़े रहने का एक अच्छा प्रयास बताया।
तीज के त्यौहार के अवसर पर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की महिला कर्मचारियों द्वारा पंजाबी लोकगीत, पंजाबी एकल नृत्य, पंजाबी महिलाओं द्वारा गिद्दा मेरी जन कूदे की प्रस्तुति सभी के दिलों की धड़कन बन गई। इसके साथ ही तीज के त्यौहार के अवसर पर विवाहित लड़कियों के माता-पिता द्वारा दिए गए संधारा की प्रस्तुति ने सभी की आंखों को नम कर दिया। कार्यक्रम के दौरान तैयार किया गया मंच भी पंजाबी संस्कृति की विविधता को प्रस्तुत करता नजर आया। मंच को मधानी, चाटी, चरखे, पखिया, चक्की और फुलकारी जैसी पारंपरिक विरासत की वस्तुओं से सजाया गया था, जिसने सभी के दिलों को छू लिया। जहां सभी ने इस तीज के त्यौहार का आनंद लिया, वहीं इस त्यौहार ने सभी को अपनी विरासत से जुड़े रहने का संदेश भी दिया। अंत में मुख्य अतिथि संगीता तूर ने कहा कि हमें हर वर्ष ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, ताकि हम आज की पीढ़ी को इसी तरह अपनी विरासत से जोड़े रख सकें और अपनी मातृभाषा का सदैव सम्मान कर सकें। सभी ने इस कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया और कार्यक्रम अमिट छाप छोड़ते हुए यादगार बन गया।