
सीएमएच, पीईसी ने इंडस्ट्री-अकादमिक सप्ताह के दौरान दो विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किए
चंडीगढ़ : 5 मार्च, 2025 : (1.) डिज़ाइन थिंकिंग: ए स्ट्रैटेजिक टूल फॉर कॉर्पोरेट सक्सेस एंड ट्रांसफॉर्मटिव लीडरशिप पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के सेंटर ऑफ़ मैनेजमेंट ह्यूमेनिटीज़ (सीएमएच) में 4 मार्च 2025 को "डिज़ाइन थिंकिंग: ए स्ट्रैटेजिक टूल फॉर कॉर्पोरेट सक्सेस एंड ट्रांसफॉर्मटिव लीडरशिप" पर एक खास सत्र आयोजित किया गया। यह सत्र इंडस्ट्री-अकादमिक एक्सपर्ट लेक्चर वीक का हिस्सा था और इसमें अमेज़न के सीनियर ट्रेनिंग स्पेशलिस्ट, श्री ललित आदित्य कौशल मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। उनके पास उद्योग और एकेडेमिक्स में लर्निंग एंड डेवेलपमेंट का काफी अनुभव है। इस सत्र में बी.टेक. के छात्र, रिसर्च स्कॉलर्स और फैकल्टी मेंबर्स ने भाग लिया।
चंडीगढ़ : 5 मार्च, 2025 : (1.) डिज़ाइन थिंकिंग: ए स्ट्रैटेजिक टूल फॉर कॉर्पोरेट सक्सेस एंड ट्रांसफॉर्मटिव लीडरशिप
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के सेंटर ऑफ़ मैनेजमेंट ह्यूमेनिटीज़ (सीएमएच) में 4 मार्च 2025 को "डिज़ाइन थिंकिंग: ए स्ट्रैटेजिक टूल फॉर कॉर्पोरेट सक्सेस एंड ट्रांसफॉर्मटिव लीडरशिप" पर एक खास सत्र आयोजित किया गया। यह सत्र इंडस्ट्री-अकादमिक एक्सपर्ट लेक्चर वीक का हिस्सा था और इसमें अमेज़न के सीनियर ट्रेनिंग स्पेशलिस्ट, श्री ललित आदित्य कौशल मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। उनके पास उद्योग और एकेडेमिक्स में लर्निंग एंड डेवेलपमेंट का काफी अनुभव है। इस सत्र में बी.टेक. के छात्र, रिसर्च स्कॉलर्स और फैकल्टी मेंबर्स ने भाग लिया।
सत्र की शुरुआत हेड सीएमएच, डॉ. अंजु सिंगला ने श्री कौशल का स्वागत करते हुए की। श्री कौशल ने बहुत ही सरल शब्दों में समझाया, कि कॉर्पोरेट वर्ल्ड में केवल टेक्निकल नॉलेज ही काफी नहीं है, बल्कि सॉफ्ट स्किल्स भी उतनी ही ज़रूरी हैं। उन्होंने बताया, कि इंजीनियरों के लिए प्रभावी कम्युनिकेशन, अपने आइडियाज़ को बेहतर तरीके से पेश करना और आत्मविश्वास के साथ बात करना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने खासतौर पर इस बात को हाईलाइट किया, कि क्रिएटिव थिंकिंग यानी रचनात्मक सोच किसी भी प्रोफेशनल इंसान के लिए बेहद ज़रूरी स्किल है।
इसके साथ ही डिज़ाइन थिंकिंग के कॉन्सेप्ट पर भी चर्चा हुई। श्री कौशल ने इसे समस्याओं को हल करने का एक क्रिएटिव तरीका बताया और डेविड केली की डिज़ाइन थिंकिंग प्रक्रिया को समझाया, जिसमें पाँच स्टेप्स होते हैं—सबसे पहले यह समझना कि सामने वाले की ज़रूरत क्या है (एम्पैथी), फिर असली चुनौती को सही तरीके से परिभाषित करना (डिफाइन), उसके बाद क्रिएटिव तरीके से समाधान पर सोचना (आइडिएट), फिर अपने विचार को एक मॉडल में ढालना (प्रोटो-टाइप) और अंत में यह चेक करना कि समाधान असरदार है या नहीं (टेस्टिंग)।
अंत में छात्रों के सवालों से सत्र और भी मज़ेदार और ज्ञानवर्धक बन गया। कार्यक्रम की कोऑर्डिनेटर डॉ. शीतल ललोत्रा और डॉ. हरप्रीत कौर ने श्री कौशल को मोमेन्टो भेंट कर आभार व्यक्त किया। यह सत्र सिर्फ एक लेक्चर ही नहीं, बल्कि सीखने और खुद को निखारने के शानदार मौके के रूप में सामने आया।
(2.) स्टॉक मार्किट एस ए मिरर तो इंडियन इकॉनमी : टूल्स एंड इनसाइट्स
इंडस्ट्री-अकादमिक एक्सपर्ट लेक्चर वीक के दूसरे दिन, 5 मार्च 2025 को, सेंटर फॉर मैनेजमेंट एंड ह्यूमैनिटीज़ ने एक इंटरएक्टिव सेशन का आयोजन किया। इस सत्र के मुख्य वक्ता थे श्री मनजीत सिंह ढिल्लों, जो आईसीएसआई कंपनी सेक्रेटरी, चंडीगढ़ के फेलो सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि, “स्टॉक मार्किट एस ए मिरर तो इंडियन इकॉनमी : टूल्स एंड इनसाइट्स" वैश्विक स्तर पर व्यवसायों की बदलती आवश्यकताओं पर केंद्रित था। डॉ. शिवानी गुप्ता और डॉ. राकेश ने श्री ढिल्लों का स्वागत किया, जिससे सत्र की शुरुआत एक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। इस व्याख्यान में सेंटर फॉर मैनेजमेंट एंड ह्यूमैनिटीज़ के छात्रों, रिसर्च स्कॉलर्स और संकाय सदस्यों ने भाग लिया।
श्री ढिल्लों ने इस बात पर जोर दिया, कि शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध को समझना क्यों आवश्यक है। उन्होंने बताया, कि शेयर बाजार किसी देश की आर्थिक स्थिति का प्रतिबिंब होता है—जब शेयर ऊपर जाते हैं, तो यह विकास का संकेत देता है, और जब वे गिरते हैं, तो यह आर्थिक मंदी की ओर इशारा करता है, जिससे नीतिगत फैसले प्रभावित होते हैं। उन्होंने समझाया, कि छात्रों के लिए शेयर बाजार को भारतीय अर्थव्यवस्था के दर्पण के रूप में देखना क्यों जरूरी है, क्योंकि यह देश की वित्तीय स्थिति और आर्थिक प्रवृत्तियों को समझने का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। शेयर बाजार इन्वेस्टर्स की भावना, कॉर्पोरेट परफॉरमेंस और मार्किट ट्रेंड को दर्शाने वाला एक सूचक होता है। इसकी कार्यप्रणाली को समझकर छात्र यह जान सकते हैं, कि कैपिटल फार्मेशन कैसे होता है, इन्वेस्टमेंट कैसे प्रवाहित होता है, और मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया कैसे कार्य करती है—ये सभी आर्थिक विकास के लिए मौलिक अवधारणाएं हैं।
श्री ढिल्लों ने शेयर बाजार में गिरावट के कई कारणों पर भी चर्चा की, जैसे उपभोक्ता खर्च में कमी, निवेश में गिरावट और शेयरों का अत्यधिक मूल्यांकन। उन्होंने यह भी बताया कि आर्थिक मंदी, राजनीतिक अस्थिरता, महंगाई, ऊँची ब्याज दरें, कंपनियों के खराब वित्तीय प्रदर्शन, निवेशकों में घबराहट, वैश्विक संकट, या बाजार में अटकलों के कारण भी शेयर बाजार प्रभावित हो सकता है। इन सभी कारकों से निवेशकों का विश्वास कमजोर होता है, जिससे बड़े पैमाने पर शेयरों की बिक्री और बाजार में गिरावट देखने को मिलती है। इसके अलावा, उन्होंने "डिकपलिंग फिनॉमेनन" को भी समझाया, जिसमें किसी देश का शेयर बाजार वैश्विक या आर्थिक रुझानों से स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ता है।
इसके साथ ही, श्री ढिल्लों ने उन विभिन्न एनालिटिकल टूल्स पर भी चर्चा की, जो सूचित निवेश निर्णय लेने और व्यापक आर्थिक वातावरण को समझने के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने बताया, कि शेयर बाजार का ज्ञान न केवल छात्रों को आर्थिक अवधारणाओं को समझने में मदद करता है, बल्कि यह उन्हें अपनी व्यक्तिगत वित्तीय योजनाओं को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने, तार्किक सोच विकसित करने और निवेश के अवसरों को पहचानने में भी सक्षम बनाता है। यह वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देता है और छात्रों को भविष्य के करियर और आर्थिक सफलता के लिए तैयार करता है।
सत्र के अंत में एक रोचक चर्चा हुई, जिसमें छात्रों और संकाय सदस्यों ने श्री ढिल्लों से कई सवाल पूछे। इसके बाद, कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर डॉ. राकेश और डॉ. शीतल ललौत्रा ने श्री ढिल्लों को मोमेंटो भेंट कर आभार व्यक्त किया।
