सतगुरु रविदास जी की जयंती पर शोभायात्रा निकाली गई तथा समारोह आयोजित किया गया

होशियारपुर- श्री गुरु रविदास जन्म उत्सव समिति दिल्ली व चित्तौड़गढ़ जन्म उत्सव समिति द्वारा राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में सतगुरु रविदास महाराज जी की जयंती बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर पूरे शहर में भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई।

होशियारपुर- श्री गुरु रविदास जन्म उत्सव समिति दिल्ली व चित्तौड़गढ़ जन्म उत्सव समिति द्वारा राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में सतगुरु रविदास महाराज जी की जयंती बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर पूरे शहर में भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई। भव्य समारोह के दौरान संत सतविंदर हीरा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय धर्म मिशन (रजि.) भारत ने संगत को सतगुरु रविदास महाराज जी के भजनों से जोड़ते हुए कहा कि गुरु रविदास जी ने जातिवाद का खंडन कर उच्च वर्ग के जाति अभिमान व अहंकार पर चोट की।
 वे समाज से शोषण, छुआछूत, पाखंड को समाप्त कर समतामूलक समाज की स्थापना करना चाहते थे। गुरु रविदास जी की जयंती मनाने के असली उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को अपनाना चाहिए और समाज से पाखंड को दूर करके दुनिया में एक समान समाज का निर्माण करना चाहिए ताकि उनके द्वारा दिखाए गए बेगमपुरा का सपना पूरा हो सके। 
संत हीरा ने कहा कि सामाजिक बुराइयों का विरोध करने के लिए दुनिया में समय-समय पर मानवता के नेता पैदा हुए हैं। उनमें श्री गुरु रविदास जी का नाम भी शामिल है, जिन्होंने धार्मिक और सामाजिक क्रांति की नींव रखी और उस समय प्रचलित भेदभाव, जाति व्यवस्था, कर्मकांड, पाखंड, धार्मिक कट्टरता आदि के खिलाफ आवाज उठाई। उस समय प्रचलित मनुवादी व्यवस्था के अनुसार, जाति व्यवस्था में चौथे स्थान पर माने जाने वाले शूद्रों को कोई अधिकार नहीं थे और उनके साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता था।
 कुछ तथाकथित विद्वान धार्मिक ग्रंथों की मनगढ़ंत व्याख्या करते थे कि शूद्रों को न तो वेद पढ़ने और न ही सुनने की अनुमति होनी चाहिए। इसी के चलते किसी भी तरह का धार्मिक पाठ करने वाले शूद्रों की जीभ काटने और वेद सुनने वाले शूद्रों के कानों में सिक्के पिघलाकर डालने के आदेश लागू हुए। 
सतगुरु रविदास महाराज द्वारा शुरू किए गए धार्मिक और सामाजिक परिवर्तन के क्रांतिकारी आंदोलन के साथ आज आदि धर्मी समाज सिर ऊंचा करके चलने में गर्व महसूस कर रहा है। इस अवसर पर आयोजन समिति ने संत सतविंदर हीरा को विशेष रूप से सम्मानित भी किया।