राष्ट्रीय लोक अदालत में 17294 मामलों का मौके पर निपटारा कर 7,33,66,781 रुपये के अवार्ड पारित किये गये।

होशियारपुर: जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी द्वारा आज वर्ष 2025 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में एनआई एक्ट (धारा 138), बैंक रिकवरी (लंबित और प्री-लिटिगेशन मामले), श्रम मामले, एमएसीटी (मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण) मामले, बिजली और पानी के बिल (गैर-समझौता योग्य को छोड़कर), वैवाहिक मामले, ट्रैफिक चालान, राजस्व मामले, अन्य सिविल और कम गंभीर आपराधिक मामले और घरेलू विवाद आदि से संबंधित मामले दायर किए गए।

होशियारपुर: जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी द्वारा आज वर्ष 2025 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में एनआई एक्ट (धारा 138), बैंक रिकवरी (लंबित और प्री-लिटिगेशन मामले), श्रम मामले, एमएसीटी (मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण) मामले, बिजली और पानी के बिल (गैर-समझौता योग्य को छोड़कर), वैवाहिक मामले, ट्रैफिक चालान, राजस्व मामले, अन्य सिविल और कम गंभीर आपराधिक मामले और घरेलू विवाद आदि से संबंधित मामले दायर किए गए।
 लोक अदालत की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी दिलबाग सिंह जौहल ने की। इस अवसर पर होशियारपुर में कुल 24 बैंचों का गठन किया गया। इसमें होशियारपुर कोर्ट में 10, दसूहा में 4, मुकेरियां में 3, गढ़शंकर में 2 तथा राजस्व अदालतों के 5 बेंच शामिल हैं। होशियारपुर जिला लोक अदालत में 20025 मामलों की सुनवाई की गई, जिनमें से 17294 मामलों का मौके पर निपटारा किया गया तथा कुल 7,33,66,781 रुपए के अवार्ड पारित किए गए।
 पुलिस विभाग ने ट्रैफिक चालान भुगतान के लिए विशेष हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं ताकि अदालतों में लंबित ट्रैफिक चालानों का आसानी से निपटान किया जा सके।
 लोक अदालत के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिलबाग सिंह जौहल, सीजेएम-कम-सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी राजपाल रावल तथा बार एसोसिएशन होशियारपुर के उपाध्यक्ष विक्रम सिंह व सचिव नवजिंदर सिंह बेदी ने सभी लोक अदालत बैंचों का दौरा किया। बार एसोसिएशन होशियारपुर ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दिया।
 मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राज पाल रावल ने लोगों से अपील की कि वे लोक अदालतों में अपने मामले दायर कर अधिक से अधिक लाभ उठाएं। इससे समय और धन की बचत होती है। लोक अदालत में लिए गए निर्णय अंतिम होते हैं। जिसके विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती। यह प्रक्रिया दोनों पक्षों के बीच आपसी सद्भावना बढ़ाने में भी मदद करती है।