साहित्य विज्ञान केंद्र (पंजीकृत) चंडीगढ़ की मासिक बैठक

साहित्य विज्ञान केंद्र की मासिक बैठक रविवार, 23 फरवरी, 2025 को पंजाब कला भवन, सेक्टर 16, चंडीगढ़ में हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. चरणजीत कौर जी (पूर्व राज्य संपर्क अधिकारी) ने की। श्रीमती रमिंदर वालिया जी (प्रसिद्ध कवियित्री) कनाडा मुख्य अतिथि थीं तथा श्रीमती संदीप कौर जसवाल जी (प्रसिद्ध कवियित्री) विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुईं।

साहित्य विज्ञान केंद्र की मासिक बैठक रविवार, 23 फरवरी, 2025 को पंजाब कला भवन, सेक्टर 16, चंडीगढ़ में हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. चरणजीत कौर जी (पूर्व राज्य संपर्क अधिकारी) ने की। श्रीमती रमिंदर वालिया जी (प्रसिद्ध कवियित्री) कनाडा मुख्य अतिथि थीं तथा श्रीमती संदीप कौर जसवाल जी (प्रसिद्ध कवियित्री) विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुईं। 
हमारे केंद्र की बहुत ही निष्ठावान सदस्या श्रीमती सिमरजीत कौर ग्रेवाल जी की माता जी तथा श्रीमती अमरजीत कौर मोरिंडा जी के छोटे बेटे का निधन हो गया था, इसलिए सबसे पहले उन दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। तत्पश्चात संस्था की कार्यकारी अध्यक्षा श्रीमती परमजीत कौर परम जी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा पूरे कार्यक्रम तथा अध्यक्षीय सभा में सम्मानित होने वाली शख्सियतों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। 
कार्यक्रम की शुरुआत रतन बाबक वाला जी के गीत से हुई। डॉ. राजिंदर रेणु, हरजीत सिंह और मनजीत कौर मोहाली जी ने दर्शकों के सामने बसंत ऋतु से संबंधित रचनाएं पेश कीं। सुरिंदर भोगल (चिंगारी) और प्रताप पारस जी ने बेटियों के बारे में बहुत ही भावपूर्ण गीत गाए। भरपूर सिंह, सुरिंदर गिल और मलकीत बसरा जी ने मौजूदा माहौल की हकीकत बयां करती बहुत ही शानदार रचनाओं से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। 
गुरदास दास जी ने तूबा के साथ अपना गीत पेश किया जो काबिले तारीफ था। बलविंदर ढिल्लों और लाभ सिंह लेहली जी ने अपनी ऊंची आवाज में गीत गाकर वाहवाही बटोरी। मलकीत नागरा ने भगत रविदास जी से संबंधित संत राम उदासी जी की रचना पेश की। चरणजीत कलेर, राज कुमार साहोवालिया, बलदेव सिंह बिंद्रा, जसवीर सिंह, सुनील मंड, ध्यान सिंह काहलों, सरबजीत सिंह जी ने अपने सुंदर गीतों से दर्शकों का मन मोह लिया। हरभजन कौर ढिल्लों और प्रसिद्ध गीतकार और गायक अमर विरदी जी ने अपने गीतों और आवाज से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। 
दविंदर कौर ढिल्लों ने तरन्नुम में श्रीमती रमिंदर वालिया का गीत 'सईयो नी कोई मोहर लियावो' सुनाया। पाल अजनबी ने बहुत ही सुंदर गजल से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इसके अलावा हरबंस सोढ़ी, श्रीमती दविंदर बाठ, सुरिंदर देओल सांपला, मुनीश विरदी, राज रानी, हर्ष देव, करणजीत चंदवाल और अशोक जी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
 आज के कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुई प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती संदीप कौर जसवाल जी ने दर्शकों के सामने कहा कि मुझे यह कार्यक्रम कविता गायन जैसा लगा और कहा कि मैं चाहती हूं कि भावना इसी तरह जीवित और अच्छी रहे और साथ ही उन्होंने अपनी बहुत ही सशक्त रचनाएं 'कियों की मैं रब नहीं हूं' और लिविंग रिलेशनशिप भी दर्शकों के साथ साझा की। 
मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई श्रीमती रमिंदर वालिया ने पूरे आयोजन को इतने अच्छे ढंग से चलाने के लिए साहित्य विज्ञान केंद्र की पूरी टीम को बधाई दी और अपनी कलम के शब्द ‘शायद अब सच्चा प्यार नहीं रहा और सारे रिश्ते मतलबी हो गए हैं’ को दर्शकों के साथ साझा किया। उन्होंने संस्था के कुछ सदस्यों को सम्मानित भी किया।
 अध्यक्षता कर रही डॉ. चरणजीत कौर ने बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण बातें कहीं और कहा कि आज मुझे लंबे समय के बाद इस साहित्यिक समागम में शामिल होने का मौका मिला और गीतकारों द्वारा गाए गए सभी गीत इतने अच्छे और दमदार थे कि उन सभी को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि हर आयोजन में समय का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। अंत में डॉ. अवतार सिंह पतंग ने आए हुए सभी साहित्यकारों, कवियों और गीतकारों का धन्यवाद किया। मंच संचालन दविंदर कौर ढिल्लों ने बखूबी किया।