सरकारी मिडिल स्कूल जियान (स्मार्ट) में एकल अध्यापक, आजादी के 76 साल बाद भी सिंगल अध्यापक, पंजाबी-हिंदी-एसएसटी के पद खाली

होशियारपुर 14 फरवरी- राजनेताओं को संविधान सिर्फ चुनावी मौसम में ही क्यों दिखता है और बाकी समय संवैधानिक अधिकारों के हनन पर आंखें मूंद लेते हैं? पंजाब में शिक्षा स्कूलों के नाम बदलने या स्मार्ट और स्कूल ऑफ एमिनेंस तक ही सीमित रह गई है। इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान ने सरकारी मिडिल स्कूल जियान (स्मार्ट) को एकल अध्यापक पर निर्भर रखने और स्कूल में पंजाबी-हिंदी-एसएसटी और सेवादार के पदों को जानबूझकर खाली रखने से बच्चों की शिक्षा को हो रहे संवैधानिक नुकसान की कड़ी निंदा की है।

होशियारपुर 14 फरवरी- राजनेताओं को संविधान सिर्फ चुनावी मौसम में ही क्यों दिखता है और बाकी समय संवैधानिक अधिकारों के हनन पर आंखें मूंद लेते हैं? पंजाब में शिक्षा स्कूलों के नाम बदलने या स्मार्ट और स्कूल ऑफ एमिनेंस तक ही सीमित रह गई है। इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान ने सरकारी मिडिल स्कूल जियान (स्मार्ट) को एकल अध्यापक पर निर्भर रखने और स्कूल में पंजाबी-हिंदी-एसएसटी और सेवादार के पदों को जानबूझकर खाली रखने से बच्चों की शिक्षा को हो रहे संवैधानिक नुकसान की कड़ी निंदा की है। 
उन्होंने कहा कि निरक्षरता का स्तर ऊंचा करके न तो देश विश्व शक्ति बन सकता है और न ही पंजाब रंग-बिरंगा पंजाब बन सकता है। यह दुखद है कि प्राइमरी स्कूल अध्यापक विहीन हैं और उनमें एकल अध्यापक हैं, लेकिन अब मिडिल स्कूल भी एकल अध्यापक बनते जा रहे हैं। धीमान ने बताया कि छठी कक्षा में 12, सातवीं कक्षा में 11 तथा आठवीं कक्षा में 8 बच्चे हैं। स्कूल में 08 बच्चे पढ़ते हैं। 
उन्होंने कहा कि गरीब लोग अपने बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय काम पर भेजना पसंद करते हैं। फिर मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा पूरी दुनिया के लोगों की नजरों में अपमान की बात है। एक समय था जब स्कूलों की दीवारों पर लिखा होता था कि हमेशा सच बोलो। ऐसा करना बहुत घातक होगा। शिक्षा ही देश को वैज्ञानिक रास्ते पर ला सकती है। 
उन्होंने कहा कि सरकार की यह गलती कोई साधारण गलती नहीं है, यह बच्चों के भविष्य के साथ सीधा संवैधानिक छेड़छाड़ है। संवैधानिक अधिकारों के साथ छेड़छाड़ अपने आप में बहुत बड़ा पाप एवं अपराध है। अगर संवैधानिक कुर्सियों पर बैठकर संविधान का उल्लंघन करना है तो संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर लोगों को दिखाने का क्या फायदा।
 सवाल यह भी उठता है कि एक अध्यापक सभी विषय कैसे पढ़ाएगा, बच्चों में नफरत कहां से आएगी, इसका जिम्मेदार कौन है? धीमान ने कहा कि स्कूलों में अध्यापकों का न होना संविधान के मौलिक अधिकारों का हनन है। अब अगर विदेश में आकर कोई शिक्षा की उपेक्षा नहीं करता तो सरकार खुद ही कर रही है। इस सरकारी झूठ ने दिल्ली में आप सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है। 
पंजाब में शिक्षा कभी भी स्कूल के आगे स्मार्ट स्कूल या स्कूल ऑफ एमिनेंस लिख देने या अध्यापकों को सिंगापुर और फिनलैंड भेज देने से नहीं सुधरी। हमें अपनी शिक्षा प्रणाली पर बहुत गर्व है। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में झूठ और गप्पों ने बच्चों में हुनर पैदा करने की बजाय अयोग्यता पैदा कर दी है। स्कूलों में हर विषय का अपना महत्व है। अगर ऐसा न होता तो न तो लोग वैज्ञानिक बन पाते और न ही अर्थशास्त्री। 
इस कंप्यूटर युग में बच्चों को सिर्फ 2 दिन के लिए कंप्यूटर शिक्षक मिलते हैं। साथ ही स्कूलों में ड्राइंग का महत्व खत्म कर दिया गया है, यह वही विषय है। इससे बच्चों में इंजीनियरिंग, विज्ञान और इंजीनियरिंग विषयों के प्रति रुचि पैदा होती है। इस विषय को खत्म करके पंजाब सरकार बच्चों के भविष्य को दूसरी अंधकार की ओर ले जा रही है। धीमान ने शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और बुद्धिजीवियों से शिक्षा को बचाने के लिए आगे आने की अपील की।