
पशु उत्पादन के लिए ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण बिंदु - वेटरनरी विश्वविद्यालय
लुधियाना 28 अगस्त 2024:- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा एक अनुसंधान -प्रसार विचार चर्चा का आयोजन किया गया। इस तरह की इस प्रथम चर्चा में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्रों तथा पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। इस चर्चा का विषय 'डेयरी पशु उत्पादन में नये प्रयास ' था।
लुधियाना 28 अगस्त 2024:- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा एक अनुसंधान -प्रसार विचार चर्चा का आयोजन किया गया। इस तरह की इस प्रथम चर्चा में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्रों तथा पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। इस चर्चा का विषय 'डेयरी पशु उत्पादन में नये प्रयास ' था। डॉ इंद्रजीत सिंह, वाइस चांसलर ने संबोधित करते हुए कहा कि पशुपालकों को पशुधन क्षेत्र में हो रहे नये शोधों की जानकारी होना समय की बड़ी जरूरत है। उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को इन निष्कर्षों से अवगत कराना प्रसार विशेषज्ञों की बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए, प्रसार विशेषज्ञों के लिए क्षेत्र में आने वाले नए ज्ञान के बारे में जानना बहुत आवश्यक है।
डॉ प्रकाश सिंह बराड़, निदेशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि पशुधन क्षेत्र से संबंधित विभागों के अधिकारियों को पशुपालन का तकनीकी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और प्रसार का संयोजन किसान के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की चर्चाएं एक-दूसरे के साथ रिश्ते बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
डॉ परमिंदर सिंह , प्रसार शिक्षा के अतिरिक्त निदेशक ने पशु आहार की गुणवत्ता और मानक के बारे में बात की और अच्छा चारा बनाने के बारे में चर्चा की। डॉ रविंदर सिंह ग्रेवाल ने हरे चारे का अचार बनाने और संतुलित पोषण पर अपने विचार साझा किए। डॉ मृगांक होनपारखे ने मवेशियों की प्रजनन क्षमता में सुधार और बीमारी की रोकथाम के लिए प्रबंधन बिंदुओं पर बात की। डॉ स्वर्ण सिंह रंधावा ने बीमारियों की शीघ्र और सटीक पहचान के लिए अवलोकन विधियों के महत्व को समझाया। डॉ राकेश कुमार शर्मा ने पशु स्वास्थ्य रखरखाव एवं उत्पादन वृद्धि के लिए देशी जड़ी-बूटियों एवं औषधियों के बारे में जानकारी दी। डेयरी किसानों के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर भी चर्चा की गई और इस संबंध में अनुसंधान और प्रसार गतिविधियों की भूमिका पर भी चर्चा की गई।
