
पंजाब विश्वविद्यालय में 'रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि में रहस्यवाद' पर व्याख्यान आयोजित
चंडीगढ़, 09 जनवरी, 2025- आज दिनांक 09 जनवरी, 2025 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा “रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ में रहस्यवाद” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मधुरिमा भट्टाचार्य (सहायक प्राध्यापक, एम.वी.जे डिग्री कॉलेज, बेंगलुरु) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया।
चंडीगढ़, 09 जनवरी, 2025- आज दिनांक 09 जनवरी, 2025 को हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा “रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ में रहस्यवाद” विषय पर व्याख्यान करवाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मधुरिमा भट्टाचार्य (सहायक प्राध्यापक, एम.वी.जे डिग्री कॉलेज, बेंगलुरु) ने विषय आधारित व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार तथा प्रो० गुरमीत सिंह ने मुख्य वक्ता को पुष्प गुच्छ भेंट देकर उनका औपचारिक स्वागत किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो० गुरमीत सिंह मौजूद रहे। उन्होंने मधुरिमा भट्टाचार्य का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि उन्होंने हमारे अनुरोध पर ‘गीतांजलि’ में रहस्यवाद’ जैसे गंभीर विषय पर व्याख्यान देने का निमंत्रण स्वीकार किया। मुख्य वक्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत के उन प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं जिन्हें दुनिया के कई देशों में पढ़ा और पढ़ाया जाता है।
उनकी प्रसिद्धि को इस बात से भी आँका जा सकता है कि उनकी रचनाएँ भारत, बांग्लादेश तथा श्रीलंका, तीनों देशों के राष्ट्रगान की प्रेरणा स्रोत बनीं। इनकी रचनाओं में रहस्यवाद देखा जा सकता है जिसकी तुलना हम रूमी और कबीर जैसे कवियों से कर सकते हैं। टैगोर मानते हैं कि ईश्वर प्राप्ति का मार्ग मानवतावाद ही है। ‘गीतांजलि’ में उन्होंने ईश्वर को गुरु, मित्र, प्रियतम आदि रूपों में संबोधित किया है।
यह कालजयी रचना हमें अपने जीवन से संबंधित कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए ईश्वर की स्तुति करना सिखाती है। साथ ही, हमें मानवीय रिश्तों तथा संसार में व्याप्त ईश्वर की सही समझ बताती है। ‘गीतांजलि’ पर बात करते हुए उन्होंने अपनी स्वरचित कविता ‘संघर्ष’ सुनाकर जीवन के सूक्ष्म भावों को छूने का प्रयास किया।
इसके बाद विभाग के विद्यार्थी साहिल, नारायण और पवन ने अपनी-अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया। और अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने कार्यक्रम की मुख्य वक्ता मधुरिमा भट्टाचार्य, विशिष्ट अतिथि प्रो० गुरमीत सिंह तथा श्रोताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता ‘भय रहित मन’ का वाचन करते हुए कहा कि ‘गीतांजलि’ के बेहतर अनुवाद की संभावना अभी भी बनी हुई है। इस कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन शोधार्थी राहुल ने किया।
