
आध्यात्मिक कल्याण और नैतिक शासन भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण: डॉ. ज़ोरा सिंह
मंडी गोबिंदगढ़, 3 फरवरी (परमजीत सिंह परवाना) देश भगत विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान और भाषा संकाय द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के सहयोग से आयोजित “वसुधैव कुटुम्बकम: समग्र मानव विकास के लिए भारत-केंद्रित दृष्टिकोण” शीर्षक से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
मंडी गोबिंदगढ़, 3 फरवरी (परमजीत सिंह परवाना) देश भगत विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान और भाषा संकाय द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के सहयोग से आयोजित “वसुधैव कुटुम्बकम: समग्र मानव विकास के लिए भारत-केंद्रित दृष्टिकोण” शीर्षक से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
संगोष्ठी के दूसरे दिन जीजीएन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, लुधियाना के प्रिंसिपल डॉ. हरप्रीत सिंह ने युवा पीढ़ी में त्याग और भक्ति के मूल्यों को स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि देश भगत विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. ज़ोरा सिंह और प्रो-चांसलर डॉ. तजिंदर कौर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। इस अवसर पर कुलाधिपति के सलाहकार डॉ. वरिंदर सिंह, डीबीयू के उपाध्यक्ष डॉ. हर्ष सदावर्ती, डॉ. सुरजीत कौर पथेजा, रजिस्ट्रार सुरिंदर पाल कपूर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित फिनलैंड दूतावास में उच्च शिक्षा एवं विज्ञान नीति की काउंसलर डॉ. लिसा जे. टोइवोनेन भी उपस्थित थीं।
उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में निहित 'वसुधैव कुटुंबकम' मानवता को एक परिवार के रूप में एकता की कल्पना करता है। मुख्य भाषण देने वाले पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एमएस निज्जर ने वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन के भीतर व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण के अंतर्संबंधों पर विस्तार से बताया।
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रोफेसर और भारतीय भाषा समिति के निदेशक डॉ. गुरपाल सिंह संधू ने आधुनिक विकास रणनीतियों में भारत के सांस्कृतिक और दार्शनिक सिद्धांतों को शामिल करने पर जोर दिया सम्मेलन के संयोजक प्रो कुलभूषण कुमार ने सेमिनार रिपोर्ट प्रस्तुत की.
