
गीत कांशी वाले दे दर ते, के साथ हाजर हुए गायक दिशांत धीर- बलदेव सिंह बल्ली
नवांशहर - आठवीं कक्षा के छात्र 14 वर्षीय दिशांत धीर ने अपने धार्मिक गीत सिंगल ट्रैक कांशी वाले दे दर ते रौनकां लागियां, रौनकां लागियां को ऊंची आवाज में श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
नवांशहर - आठवीं कक्षा के छात्र 14 वर्षीय दिशांत धीर ने अपने धार्मिक गीत सिंगल ट्रैक कांशी वाले दे दर ते रौनकां लागियां, रौनकां लागियां को ऊंची आवाज में श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
पंजाबी गायकी के आकाश में एक सितारे की तरह चमकने के दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने गायन के क्षेत्र में एक मजबूत पैर जमाने के लिए अपनी दृष्टि निर्धारित की है। जिस तरह आम अखाड़ों की शुरुआत धार्मिक गीत से होती है, दिशांत ने इससे भी आगे बढ़कर धार्मिक गायन के साथ अपनी गायन यात्रा शुरू की है। यह गीत गायक के पिता राम जी धीर, जो ग्रीस में रहते हैं, ने लिखा है और संगीत को बीआर डिमाना और आरडी बॉय की जोड़ी ने सजाया है।
इस प्रोजेक्ट के निर्माता प्रसिद्ध पत्रकार गुरबख्श महे हैं तथा गायक के उस्ताद बूटा कोहिनूर का आशीर्वाद प्राप्त है तथा इसे जेएम7 एंटरटेनमेंट कंपनी ने प्रस्तुत किया है। पंजाबी कहावत है कि माँ पर धी, पिता पर घोड़ा, बोहता नहीं तां थोड़ा थोड़ा। लेकिन दिशांत ने साबित कर दिया है कि छोटी सी उम्र में ही अपने लेखक पिता से दो कदम आगे रहकर वह एक बच्चे से कहीं अधिक है। गीतकार राम जी धीर के ज्येष्ठ पुत्र गायक दिशांत का भी यह जेठा गीत है। जो बसंत के सूरज की तरह सूरज को भी चमकाए रखने में सक्षम है।
दिशांत गायन के साथ-साथ तबला व हारमोनियम भी सफलतापूर्वक बजाते हैं तथा संगीत की बारीकियों को समझने के लिए निरंतर अभ्यास कर रहे हैं। दिशांत शहीद भगत सिंह नगर की बलाचौर तहसील के गांव गरले ढाहाँ के निवासी हैं। वह अपने गांव में गीत-संगीत से जुड़ी हस्तियों तथा गांव में पीर बाबा दादू शाह के दरबार में हर वर्ष लगने वाले मेले के अखाड़े में गायकों के गायन से प्रभावित होकर इस पथ के अग्रदूत बन गए हैं। इस पथ पर यश प्राप्ति में उन्हें पूर्ण सफलता मिले यही उनके शुभचिंतकों की कामना है।
