
विभागीय अदालती मामलों के निपटान के संबंध में ए.डी.सी. ने विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की
साहिबजादा अजीत सिंह नगर, 10 जनवरी 2025: अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर विराज एस. तिड़के ने पंजाब विवाद समाधान एवं मुकदमेबाजी नीति, 2018 के संबंध में जिला प्रशासनिक परिसर में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में विभागों में लंबित अदालती मामलों के निपटान के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई तथा दिशा-निर्देश दिए गए।
साहिबजादा अजीत सिंह नगर, 10 जनवरी 2025: अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर विराज एस. तिड़के ने पंजाब विवाद समाधान एवं मुकदमेबाजी नीति, 2018 के संबंध में जिला प्रशासनिक परिसर में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में विभागों में लंबित अदालती मामलों के निपटान के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई तथा दिशा-निर्देश दिए गए।
अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर विराज एस. तिड़के ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से कहा कि धारा 80 सी.पी.सी. के तहत कार्यालयों/विभागों को प्राप्त कानूनी नोटिसों का समय पर जवाब दिया जाना चाहिए तथा विभिन्न कानूनी नोटिसों में विभाग द्वारा दिए गए जवाबों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे विरोधाभासी न हों ताकि भविष्य में मुकदमेबाजी से बचा जा सके।
इसके अलावा, सेवा मामलों पर पहले के निर्णयों के आलोक में नए मामलों का निपटारा किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि समान मामलों में न्यायालयों द्वारा लिए गए निर्णयों, लंबित मामलों को पूर्व में न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के अंतर्गत क्रियान्वित किया जाए, ऐसा करने से मुकदमेबाजी से बचा जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि विभागों के पास 2 लाख रुपये से कम का कोई वित्तीय मामला आता है तो उक्त नीति के अनुसार उन मामलों में अपील दायर न की जाए। मामले का अपने स्तर पर निपटारा किया जाए तथा न्यायालयों में लंबित/चल रहे मामलों में यह सुनिश्चित किया जाए कि सरकार इन मामलों में पक्षकार है या नहीं तथा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ये मामले सीमा अवधि के अंतर्गत आते हैं या नहीं।
उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों का जवाब संबंधित अधिकारी द्वारा समयबद्ध तरीके से जांचा जाए तथा जांच के समय आवश्यक रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाए। न्यायालयों द्वारा किसी भी मामले में पारित आदेशों/अंतरिम आदेशों को तुरंत ऑनलाइन प्राप्त कर रिकॉर्ड का हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेशों का बिना देरी किए तुरंत क्रियान्वयन किया जाए ताकि भविष्य में न्यायालय की अवमानना से बचा जा सके तथा विभाग को बदनामी का सामना न करना पड़े।
न्यायालयों में लंबित मामलों का जवाब समय पर दाखिल किया जाए तथा दाखिल किया गया जवाब निर्देशों/नीतियों/तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। न्यायालयों में लंबित विभिन्न मामलों में माननीय न्यायालयों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के विरुद्ध बिना किसी कारण के रिवीजन/अपील दाखिल करने से परहेज करें। न्यायालयों से प्राप्त अग्रिम प्रतियों पर अविलम्ब कार्यवाही की जाए। नंबर का इंतजार न किया जाए।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग विभागों के लिए अलग-अलग विशेष अधिनियम बनाए गए हैं, अधिनियम के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाए कि न्यायालयों में चल रहे मामले विशेष अधिनियम के तहत न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आते हैं या नहीं। एडीसी ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि समय-समय पर माननीय न्यायालयों द्वारा लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न मुद्दों से संबंधित लंबित मामलों का निपटारा किया जाता है। यदि कार्यालयों में ऐसे मामले हैं, जिनका निपटारा लोक अदालत के माध्यम से किया जा सकता है, तो इस संबंध में सूची तैयार करके माननीय न्यायालयों को भेजी जाए। किसी भी कानूनी बिंदु पर डीए अभियोजन/डीए प्रशासन के माध्यम से उपायुक्त से अविलम्ब कानूनी राय तुरंत ली जाए।
