डॉक्टरों की स्वीकृत मांगों को लागू करें, नहीं तो 20 से हड़ताल: डॉ. सरीन

पटियाला, 4 जनवरी- पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीसीएमएसए) के बैनर तले पंजाब के डॉक्टर राज्य सरकार की ओर से लिखित आश्वासन के करीब तीन महीने बाद भी अपनी मांगों को लागू न किए जाने के विरोध में 20 जनवरी से हड़ताल पर जाएंगे।

पटियाला, 4 जनवरी- पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीसीएमएसए) के बैनर तले पंजाब के डॉक्टर राज्य सरकार की ओर से लिखित आश्वासन के करीब तीन महीने बाद भी अपनी मांगों को लागू न किए जाने के विरोध में 20 जनवरी से हड़ताल पर जाएंगे।
यह फैसला एसोसिएशन की आम सभा की बैठक में लिया गया। बैठक के दौरान करियर प्रोग्रेस और कार्यस्थल पर सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में हो रही देरी पर निराशा और विरोध जताया गया।
बैठक के बाद पीसीएमएसए के अध्यक्ष डॉ. अखिल सरीन ने कहा कि एसोसिएशन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें 1 जुलाई 2021 से रुके हुए डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेस (डीएसीपी) भी शामिल हैं। डॉ. सरीन ने कहा कि सितंबर 2024 की बैठकों के दौरान पंजाब के मंत्रियों और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा दिए गए कई आश्वासनों के बावजूद कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। लिखित वादे, जिनमें एक सप्ताह के भीतर सुरक्षा ढांचा लागू करना और 12 सप्ताह के भीतर डीएसीपीएस बहाल करना शामिल है, 16 सप्ताह बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं हुए हैं। 
डॉ. सरीन ने आगे कहा कि सितंबर में सरकार के आश्वासन के बाद धरना समाप्त करके सेवाएं बहाल कर दी गई थीं, लेकिन सरकार द्वारा तय समय में समस्याओं का समाधान न करने के कारण पंजाब भर के मेडिकल अफसरों में भारी रोष है और कई जगहों पर कई विशेषज्ञ सरकारी सेवाओं से इस्तीफा देकर अस्पताल छोड़ रहे हैं। उन्होंने पंजाब सरकार को चेतावनी दी कि अगर सुरक्षा और करियर तरक्की दोनों मांगों को लागू नहीं किया गया तो 20 जनवरी से ओपीडी सेवाएं बंद कर फिर से धरना दिया जाएगा। 
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने 12 जनवरी को सभी जिला इकाइयों की अगली नीति बैठक भी बुलाई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एसोसिएशन लोगों के हित में काम करने वाला संगठन है। अस्पतालों में सुरक्षा केवल डॉक्टरों के लिए ही नहीं बल्कि हर स्टाफ और वहां आने वाले मरीजों के लिए भी है क्योंकि मरीजों के सामान की चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड होना जरूरी है। 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को डॉक्टरों की मांगों के प्रति अपना उदासीन रवैया त्यागकर बिना किसी देरी के स्वीकृत मांगों को तुरंत लागू करना चाहिए।