
पंजाब विश्वविद्यालय 19-20 नवंबर को ‘समकालीन पंजाब: राजनीति और समाज’ पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी करेगा
चंडीगढ़ 18 नवंबर, 2024: पंजाब एट क्रॉसरोड्स श्रृंखला में दूसरा ‘समकालीन पंजाब: राजनीति और समाज’ पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, राष्ट्रीय पंजाब अध्ययन संस्थान, भाई वीर सिंह साहित्य सदन, नई दिल्ली द्वारा राजनीति विज्ञान विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू), चंडीगढ़ के सहयोग से 19-20 नवंबर को पंजाब विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है। पीयू की कुलपति प्रोफेसर रेणु विग अध्यक्षीय भाषण देंगी, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव एस. रमेश इंदर सिंह उद्घाटन भाषण देंगे
चंडीगढ़ 18 नवंबर, 2024: पंजाब एट क्रॉसरोड्स श्रृंखला में दूसरा ‘समकालीन पंजाब: राजनीति और समाज’ पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, राष्ट्रीय पंजाब अध्ययन संस्थान, भाई वीर सिंह साहित्य सदन, नई दिल्ली द्वारा राजनीति विज्ञान विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू), चंडीगढ़ के सहयोग से 19-20 नवंबर को पंजाब विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है।
पीयू की कुलपति प्रोफेसर रेणु विग अध्यक्षीय भाषण देंगी, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव एस. रमेश इंदर सिंह उद्घाटन भाषण देंगे और विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के जाने-माने पूर्व प्रोफेसर प्रो. राणा नायर मुख्य वक्ता होंगे। सेमिनार के सितारों से सजे इस उद्घाटन सत्र में वरिष्ठ पत्रकार और द ट्रिब्यून ग्रुप ऑफ न्यूजपेपर्स के प्रधान संपादक मुख्य अतिथि के रूप में बोलेंगे।
राजनीति, समाज, शिक्षा, प्रवास, डेरा राजनीति और मीडिया छह सत्रों के उप-विषय हैं। भारत और विदेश से जाने-माने विशेषज्ञ अपनी प्रस्तुतियाँ दे रहे हैं। सेमिनार हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है और इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा। सेमिनार में ऑनलाइन भागीदारी भी होगी।
ऑनलाइन उपस्थित होने वाले प्रमुख नामों में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर मार्क जुर्गेंसमेयर, ब्रैम्पटन के प्रोफेसर सुच्चा सिंह गिल और यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के प्रोफेसर इतेश सचदेव शामिल हैं। सेमिनार में पीयू के नौ सेवारत या सेवानिवृत्त शिक्षक या तो बोल रहे हैं या अध्यक्षता कर रहे हैं। समापन सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षाविद और प्रशासक प्रोफेसर एसएस जोहल करेंगे।
सेशन में प्रोफेसर हरीश पुरी और डॉ. स्वराजबीर बोलेंगे।
सेमिनार के अंत में गोलमेज सम्मेलन का उद्देश्य सेमिनार की दोनों श्रृंखलाओं की अंतर्दृष्टि पर चर्चा करना और राज्य के सामने मौजूद आर्थिक, सामाजिक-राजनीतिक गतिरोध से निपटने के लिए आगे के उपाय सुझाना है।
