
समाज सेवी बरजिंदर सिंह हुसैनपुर के प्रांगण में साहित्यिक संध्या का आयोजन किया गया
नवांशहर - राहों कस्बे के गांव हुसैनपुर में 'नरोआ पंजाब' के संस्थापक और प्रमुख समाज सेवी सरदार बरजिंदर सिंह हुसैनपुर के प्रांगण में एक 'साहित्यिक संध्या' का आयोजन किया गया। नवजोत साहित्य संस्था और की ओर से आयोजित इस शाम में मशहूर कवियों ने गीत, गजल और कविताओं से समां बांधा. सरदार बरजिंदर सिंह हुसैनपुर ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्य समाज का मार्गदर्शन करने और नई पीढ़ी को जीवन की वास्तविकता से जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
नवांशहर - राहों कस्बे के गांव हुसैनपुर में 'नरोआ पंजाब' के संस्थापक और प्रमुख समाज सेवी सरदार बरजिंदर सिंह हुसैनपुर के प्रांगण में एक 'साहित्यिक संध्या' का आयोजन किया गया। नवजोत साहित्य संस्था और की ओर से आयोजित इस शाम में मशहूर कवियों ने गीत, गजल और कविताओं से समां बांधा. सरदार बरजिंदर सिंह हुसैनपुर ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्य समाज का मार्गदर्शन करने और नई पीढ़ी को जीवन की वास्तविकता से जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
मंच पर आने वाले कवियों में गुरदीप सैनी, रजनी शर्मा, कुलविंदर कुल्ला, सतपाल सहलों, नीरू जस्सल, तरसेम साकी, जोगिंदर सिंह कुल्लेवाल, रेशम करनानवी, चमन मल्लपुरी, देविंदर स्कोहपुरी, हरमिंदर हैरी, बलविंदर कौर मुबारकपुर, देस राज बाली, रवि किशन, पटवारी, देविंदर बेगमपुरी, बलविंदर सिंह, राम नाथ कटारिया और सुच्चा राम जाडला आदि की सभी प्रस्तुतियों को दर्शकों ने खूब सराहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति में शामिल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य जत्थेदार महेंद्र सिंह हुसैनपुरी ने 1947 के विभाजन और अब तक के साहित्य सफर के विद्वानों को याद किया. उन्होंने कहा कि अच्छा साहित्य रचनात्मक दिशा प्रदान करता है। जबकि ख़राब साहित्य समय की चकाचौंध में खो जाता है. इस अवसर पर नवजोत साहित्य संस्थान की ओर से सरदार बरजिंदर सिंह हुसैनपुर और उनकी पत्नी सरदारनी हरजीत कौर को संयुक्त रूप से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
संस्था के सचिव सुरजीत मजारी ने मंच का बखूबी संचालन किया। संस्था के अध्यक्ष गुरनेक शेर ने संस्था की बहुमुखी गतिविधियों की जानकारी दी तथा समूह प्रबंधकों, सहयोगियों एवं साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।
