वेटरनरी विश्वविद्यालय का पशुपालन मेला-उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य को समर्पित
लुधियाना-12 सितम्बर 2024- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना का पशुपालन मेला सभी उम्र के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए एक शानदार प्रदर्शनी होगी। डॉ जतिंदर पाल सिंह गिल, वाइस चांसलर ने मेले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मेले में सिर्फ किसानों को ही नहीं बल्कि हर नागरिक को कुछ न कुछ दिलचस्प जरूर मिलेगा। 13 सितंबर से शुरू होकर 14 सितंबर तक चलने वाले पशुपालन मेले के बारे में उन्होंने कहा कि मेले में सभी आयु वर्ग और स्वभाव के लिए विभिन्न वस्तुएं और प्रदर्शनियां प्रदर्शित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस मेले का नारा होगा ''उत्पादन से उत्पाद बनाएं, आओ अधिक लाभ पाऐं'।
लुधियाना-12 सितम्बर 2024- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना का पशुपालन मेला सभी उम्र के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए एक शानदार प्रदर्शनी होगी। डॉ जतिंदर पाल सिंह गिल, वाइस चांसलर ने मेले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मेले में सिर्फ किसानों को ही नहीं बल्कि हर नागरिक को कुछ न कुछ दिलचस्प जरूर मिलेगा। 13 सितंबर से शुरू होकर 14 सितंबर तक चलने वाले पशुपालन मेले के बारे में उन्होंने कहा कि मेले में सभी आयु वर्ग और स्वभाव के लिए विभिन्न वस्तुएं और प्रदर्शनियां प्रदर्शित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस मेले का नारा होगा ''उत्पादन से उत्पाद बनाएं, आओ अधिक लाभ पाऐं'। उन्होंने कहा कि हम कृषि के साथ पशुपालन व्यवसायों को जोड़कर और उन्हें बढ़ावा देकर स्वस्थ परिवार और खुशहाल किसान बनाने की अवधारणा को हासिल करना चाहते हैं।
डॉ गिल ने कहा कि जहां बच्चों की रुचि के लिए गाय, भैंस, भेड़, बकरी, खरगोश और मछली आदि जानवर होंगे, वहीं शहरी बच्चे भी खुला ग्रामीण वातावरण देखकर खुश होंगे। पाठ्यक्रमों के माध्यम से जीव विज्ञान या ग्रामीण संस्कृति पढ़ने वाले छात्रों को मेले में कई नई जानकारी और चीजें देखने को मिलेंगी।
डॉ प्रकाश सिंह बराड़, निदेशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि जिन मालिकों के घरों में कुत्ते, बिल्ली आदि पालतू जानवर हैं, उन्हें भी इस मेले का आनंद मिलेगा। क्योंकि इन जानवरों के बेहतर पालन-पोषण, भोजन और टीकाकरण के विशेषज्ञ इस अवसर पर उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपने पशुओं का खून, गोबर, मूत्र और दूध जांच के लिए ला सकते हैं। मेले में कोई जांच शुल्क नहीं लिया जाएगा। विश्वविद्यालय ने सजावटी मछलियों को रखने और पालने के लिए विशेष काम किया है। मछली पालन के शौकीन लोग इसमें हिस्सा ले सकेंगे। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए फिशरीज कालेज के विशेषज्ञों द्वारा मत्स्य पालन के पेशे से जुड़े लोगों को सभी प्रकार का ज्ञान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन अपनाने और इसे बढ़ावा देने वाले तीन किसानों को 'मुख्यमंत्री पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जाएगा।
डॉ बराड़ ने बताया कि गृहिणियां जो पशुधन व्यवसाय में मदद करती हैं या पूरी तरह से कार्यरत हैं, वे मेले में आ सकती हैं और पशुधन उत्पादों के नए और बेहतर उपयोग पर चर्चा कर सकती हैं। विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का स्वाद लेने का एक लाभकारी अवसर है। मीठा दूध, लस्सी, मीठा दही, मीट पैटीज़, मीट कोफ्ता, मीट अचार और पनीर विशेष आकर्षण होगा। मीट कटलेट और विभिन्न अन्य उत्पाद भी आकर्षण का केंद्र होंगे।
डॉ बराड़ ने आगे कहा कि मेले में मिलावटी दूध की पहचान और जांच के लिए भी जानकारी दी जाएगी ताकि इस्तेमाल किया गया दूध सभी के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो। इससे आम आदमी स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने के बारे में जागरूक हो सकेगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा तैयार दूध परीक्षण किट भी मेले में खरीद के लिए उपलब्ध रहेगी।
डॉ बराड़ ने कहा कि मेले में बेरोजगार युवाओं और छोटे किसानों के लिए कई आकर्षक विषय होंगे। जो किसान कम पैसे में अपना व्यवसाय करना चाहते हैं, उनके लिए मेले में विशेषज्ञ वैज्ञानिक और बैंक अधिकारी हर तरह की जानकारी और वित्तीय सहायता देंगे। उन्होंने कहा कि मेले में स्वच्छ, अच्छा एवं शीघ्र खाद्य पदार्थ तैयार करने की मशीनरी भी रखी जायेगी ताकि आम नागरिकों को यह पता चल सके कि हमें मिलने वाले उत्पाद किस स्वच्छ वातावरण में तैयार होते हैं अथवा उद्यमी अपने उद्योग को बेहतर बना सकते हैं।
पशुओं से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं, पशुओं की बीमारियों से संबंधित साहित्य और नया व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने संबंधी जानकारी भी मेले में प्राप्त होगी। पशुपालक मासिक पत्रिका 'वैज्ञानिक पशुपालन' घर पर प्राप्त करने के लिए अपना नाम भी पंजीकृत करा सकेंगे।
