सरकारी हाई स्मार्ट स्कूल लखसीहां में मुख्य अध्यापक, पंजाबी, हिंदी, डीपीआई, कृषि, चौकीदार और सफाई कर्मचारियों के पद रिक्त हैं।

होशियारपुर 28 फरवरी- मासूम बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना पूरी तरह से असंवैधानिक है और उनके भविष्य को बर्बाद करने के बराबर है। शिक्षा नीतियां दीवारों पर स्मार्ट और स्कूल ऑफ एमिनेंस लिखने तक ही सीमित हैं। इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान ने सरकारी हाई स्मार्ट स्कूलों में अध्यापकों के 50 प्रतिशत पद रिक्त रखने पर पंजाब सरकार की कड़ी निंदा की और कहा कि भेदभावपूर्ण नीतियों के तहत बच्चों के भविष्य को खराब किया जा रहा है ताकि गरीब लोगों के बच्चों को उच्च शिक्षा से दूर रखा जा सके।

होशियारपुर 28 फरवरी- मासूम बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना पूरी तरह से असंवैधानिक है और उनके भविष्य को बर्बाद करने के बराबर है। शिक्षा नीतियां दीवारों पर स्मार्ट और स्कूल ऑफ एमिनेंस लिखने तक ही सीमित हैं। इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान ने सरकारी हाई स्मार्ट स्कूलों में अध्यापकों के 50 प्रतिशत पद रिक्त रखने पर पंजाब सरकार की कड़ी निंदा की और कहा कि भेदभावपूर्ण नीतियों के तहत बच्चों के भविष्य को खराब किया जा रहा है ताकि गरीब लोगों के बच्चों को उच्च शिक्षा से दूर रखा जा सके। 
यह बुनियादी संवैधानिक और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन भी दर्शाता है। संविधान को हाथ में लेकर डॉ. अंबेडकर के सपनों को पूरा नहीं किया जा सकता। जब तक संविधान में लिखे मूल संवैधानिक अधिकारों को लागू नहीं किया जाता तब तक स्कूल में कुल 95 बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें से कक्षा 6 में 14, कक्षा 7 में 13, कक्षा 8 में 21, कक्षा 9 में 26 तथा कक्षा 10 में 22 बच्चे पढ़ते हैं। 
स्कूल में मुख्य अध्यापक, पंजाबी, हिंदी, डीपीआई, चौकीदार तथा सफाई कर्मचारी आदि के पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं तथा बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की बजाय उन्हें अधूरा ज्ञान दिया जा रहा है। एक तरफ पंजाबी मातृभाषा को पंजाब में पनपने के लिए कहा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ स्कूलों में पंजाबी भाषा के पद ही खाली पड़े हैं। धीमान ने कहा कि स्कूल में पहले ही 50 प्रतिशत पद खाली हैं तथा उनमें से भी कुछ अध्यापक चुनाव ड्यूटी पर, कुछ अतिरिक्त कार्य में तथा कभी सेमिनार में ड्यूटी पर रहते हैं तथा शेष 25 प्रतिशत बच्चों को ही अध्यापक दिए जा रहे हैं। 
अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों को अधूरी शिक्षा दी जाती है, जिसके कारण बच्चों का भविष्य अधूरा रह जाता है तथा बच्चों के भविष्य के लिए निर्धारित लक्ष्य कमजोर पड़ रहे हैं। अब स्थिति यह है कि बच्चे पढ़ना चाहते हैं और सरकारें शिक्षा उपलब्ध नहीं करवा रही हैं। एक समय था जब बच्चे स्कूलों में कम रुचि दिखाते थे और अध्यापक शिक्षा के लिए अपील करते थे। अब वह समय चला गया जब एक ही अध्यापक सभी विषय पढ़ा सकता है। सभी स्कूलों में विषयवार अध्यापक होना जरूरी है। 
धीमान ने कहा कि आए दिन हम सरकार को यह कहते हुए सुनते हैं कि अध्यापकों की भर्ती की जा रही है। एक दिन का नुकसान बच्चे की योग्यता पर सवाल खड़ा कर रहा है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य आंकड़ों पर केंद्रित रखना पूरी तरह से गलत है। सबसे दुखद बात यह है कि ड्राइंग विषय को नजरअंदाज किया जा रहा है, ड्राइंग विज्ञान और तकनीकी शिक्षा का एक आधार है। 
धीमान ने कहा कि मेडिकल, मेडिकल के साथ सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग आदि विषयों का आधार है। सरकार की गलत नीतियों के कारण 9वीं और 10वीं तक ड्राइंग कक्षाएं बंद हैं और 6वीं से 8वीं तक अनिवार्य कक्षाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। अध्यापकों के बिना स्कूलों में अधूरी पढ़ाई बच्चों और अध्यापकों में नकल की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है। 
इस नकल का खामियाजा बच्चों को जीवन भर भुगतना पड़ता है। धीमान ने कहा कि अगर शिक्षा को आंकड़ों के चक्र से बाहर निकाला गया और बच्चों को पूरी तरह से शिक्षित नहीं किया गया तो इसके परिणाम बहुत बुरे होंगे। परिणाम सामने आएंगे। 
धीमान ने लोगों से अपील की कि वे जागरूक होकर शिक्षा बचाओ आंदोलन में सहयोग करें ताकि बच्चों का भविष्य मजबूत दिशा में आगे बढ़े। उन्होंने सरकार से मांग की कि स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को बिना किसी देरी के तुरंत भरा जाए।