
महिलाओं की सुरक्षा - समय की मांग
आज के समय में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भारत, जिसे देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है, जहां बड़े-बड़े समाज सुधारक पैदा हुए, जिन्होंने समय-समय पर बाल विवाह, बहु-पत्नी प्रथा और सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। श्री गुरु नानक देव जी ने "सो क्यों मंदा आखिए जित जम्हे राजान" का नारा दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि आधुनिक समाज ने बाबा नानक की दी हुई शिक्षाओं को भुला दिया है।
आज के समय में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भारत, जिसे देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है, जहां बड़े-बड़े समाज सुधारक पैदा हुए, जिन्होंने समय-समय पर बाल विवाह, बहु-पत्नी प्रथा और सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। श्री गुरु नानक देव जी ने "सो क्यों मंदा आखिए जित जम्हे राजान" का नारा दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि आधुनिक समाज ने बाबा नानक की दी हुई शिक्षाओं को भुला दिया है। आज हमारे भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। विकसित युग में भी भारत एक पुरुष प्रधान देश है। महिलाएं आज भी विभिन्न प्रकार की हिंसा और अत्याचार का शिकार हो रही हैं। यह किसी भी समय, किसी भी स्थान पर हो सकता है चाहे वह उनका अपना घर हो, सार्वजनिक स्थान हो, या फिर उनका कार्यस्थल। प्राचीन समय से ही स्त्री को भोग की वस्तु माना जाता रहा है। वह हमेशा ही पुरुषों द्वारा किए गए अपमान, शोषण और जुल्म का शिकार रही हैं। आजकल बलात्कार और क्रूरता से महिलाओं, लड़कियों और मासूम बेटियों की हत्या आम बात हो गई है। हम एक जघन्य घटना को भूलने की कोशिश करते हैं कि दूसरी उससे भी भयानक घटना घट जाती है। वैसे तो ऐसी ही घिनौनी वारदातें रोज ही घट रही हैं, लेकिन कुछ घटनाएं मीडिया के माध्यम से पूरे देश में जंगल की आग की तरह फैल जाती हैं, और फिर लोगों का विरोध प्रदर्शन, बंद, तोड़फोड़ और कैंडल मार्च के साथ एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। ताजा मामला कोलकाता की एक होशियार सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुआ, जिसकी आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। इस घटना ने पूरी इंसानियत को शर्मसार कर दिया है क्योंकि इसमें बर्बरता की सारी हदें पार कर दी गई हैं। इस बच्ची को डॉक्टर बनाने में एक मध्यम वर्गीय परिवार का जी तोड़ संघर्ष था। लेकिन उनके सारे सपने एक झटके में चकनाचूर हो गए। यह लड़की अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसने जेईई और मेडिकल में सफलता प्राप्त की। लेकिन उसने मेडिकल लाइन चुनी और जे.एम.एम. मेडिकल कॉलेज कल्याणी में दाखिला लिया। पता नहीं उसने और उसके परिवार ने कैसे भविष्य की कल्पना की होगी। एक सफल डॉक्टर के रूप में उसने कितने मरीजों को स्वस्थ जीवन प्रदान करना था। लेकिन दरिंदों की गंदी मानसिकता ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। हमारे देश में जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से शिक्षित डॉक्टरों का अनुपात सभी को पता है। एक डॉक्टर की हत्या वास्तव में मानवता की हत्या है। भारत में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार चौथा सबसे आम अपराध है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए गए। औसतन 86 मामले प्रतिदिन बनते हैं। आज भी अखबार के हर पन्ने पर ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं। ये वे मामले हैं जो सामने आ जाते हैं। लेकिन दबे या दबाए गए मामलों की संख्या कहीं ज्यादा है। 1992 में अजमेर में हुई घटना काफी सुर्खियों में आई थी। इसमें सौ से अधिक स्कूली लड़कियों का यौन शोषण हुआ था। 16 दिसंबर 2020 में एक 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। बाद में उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। 13 दिन बाद उसकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरे देश और संसद में हंगामा खड़ा कर दिया। बाद में दोषियों को फांसी की सजा दी गई। ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। एसिड अटैक, चेन, पर्स, मोबाइल फोन की स्नैचिंग आज के समय की आम बातें बन गई हैं। लेकिन ये सभी अपराध एक सभ्य समाज के लिए शर्मनाक धब्बा हैं। जरूरत है कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की। न्याय प्रणाली सख्त, पारदर्शी और तेज गति वाली होनी चाहिए। सजाएं दरिंदगी की सोच वाले लोगों के लिए एक उदाहरण बननी चाहिए और उनके मन में भय पैदा करना चाहिए। यह आज के समय की मांग है।
