
इंडस्ट्री-एकेडेमिया वीक: पेक में उद्यमिता, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और सिविल इंजीनियरिंग पर हुए एक्सपर्ट लेक्चर
चंडीगढ़: 17 सितम्बर, 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ में आयोजित इंडस्ट्री-एकेडेमिया एक्सपर्ट लेक्चर वीक के तीसरे दिन विद्यार्थियों और फैकल्टी सदस्यों ने बेहद ज्ञानवर्धक सत्रों का अनुभव किया, जिन्होंने उद्यमिता, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और सिविल इंजीनियरिंग—दोनों क्षेत्रों के दृष्टिकोणों को एक मंच पर प्रस्तुत किया।
चंडीगढ़: 17 सितम्बर, 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ में आयोजित इंडस्ट्री-एकेडेमिया एक्सपर्ट लेक्चर वीक के तीसरे दिन विद्यार्थियों और फैकल्टी सदस्यों ने बेहद ज्ञानवर्धक सत्रों का अनुभव किया, जिन्होंने उद्यमिता, सस्टेनेबल डेवलपमेंट और सिविल इंजीनियरिंग—दोनों क्षेत्रों के दृष्टिकोणों को एक मंच पर प्रस्तुत किया।
पहले सत्र में श्री अमित सिंह, सीनियर प्रोग्राम मैनेजर, वाधवानी फाउंडेशन ने “एंटरप्रीनिओरशिप” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इस मूलभूत सिद्धांत पर ज़ोर दिया कि “हर उद्यमिता यात्रा की शुरुआत किसी समस्या की पहचान से होती है।”
वर्तमान समय में इनोवेशनके महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने समझाया कि किस प्रकार आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस उद्यमियों के लिए एक सशक्त सहायक उपकरण बन सकती है—चाहे वह बाज़ार का विश्लेषण हो, समाधान तैयार करना हो या व्यवसाय का विस्तार करना। उन्होंने बाज़ार की प्रकृति—खरीदार, विक्रेता, ग्राहक वर्गीकरण, सर्विसेबल ऑब्टेनेबल मार्किट की पहचान और प्रतिस्पर्धियों का अध्ययन जैसे अहम पहलुओं पर प्रकाश डाला। अंत में, छात्रों के साथ इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें उन्होंने उद्यमिता से जुड़े वास्तविक सवाल पूछे।
दूसरे सत्र में, केमिस्ट्री विभाग ने “सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी : एन इंटेग्रेटड सर्कुलर अप्प्रोच” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किया, जिसे श्री सुयोग जैन, रसायन और फार्मास्युटिकल तकनीक क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ ने प्रस्तुत किया।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश में स्थापित पोटेशियम क्लेवुलानेट बल्क फर्मेंटेशन प्रोजेक्ट की जानकारी साझा की—जो चीन के बाहर अपनी तरह का पहला और सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। 60 एकड़ में फैला और ₹550 करोड़ के निवेश से स्थापित यह संयंत्र वर्तमान में भारत की आवश्यकता का 20% पूरा कर रहा है, और पूर्ण क्षमता पर पहुँचने पर 40% तक योगदान देगा।
श्री जैन ने एक और ₹1500 करोड़ के आगामी प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया, जो पूर्णत: एकीकृत, परिपत्र और ऊर्जा-कुशल प्रक्रिया पर आधारित होगा, जिसमें न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट रहेगा। इसमें 2G एथेनॉल उत्पादन (बाय-प्रोडक्ट्स और बायोवेस्ट से) जैसी ग्रीन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, लांज़ाटेक यूएसए के सहयोग से।
छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत “दुनिया की फार्मेसी” है, लेकिन की स्टार्टिंग मटेरियलस (केएसएम) में आत्मनिर्भरता अभी भी एक कमी है। उन्होंने युवा इंजीनियरों और वैज्ञानिकों से अपील की कि वे सतत, संसाधन-कुशल और प्रदूषण-मुक्त तकनीकों को अपनाएं और भारत की वैश्विक स्थिति को और मज़बूत बनाएं।
तीसरे सत्र में, सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने “चैलेंजेस इन टनलिंग बाय टीबीएम इन हिमालयन जियोलॉजी - ए केस स्टडी” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किया, जिसे ई. अरुण कुमार, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक, एनटीपीसी ने प्रस्तुत किया। अपने व्यापक अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने हिमालयी भूगोल में टनलिंग प्रोजेक्ट्स को अंजाम देने की जटिलताओं को विस्तार से समझाया।
उन्होंने सेगमेंट कास्टिंग, लाइनिंग प्रगति, सेटिंग प्रक्रिया, मोल्ड्स के माध्यम से कंक्रीटिंग, तथा क्रॉस-वेंटिलेशन व्यवस्थाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। यह केस स्टडी छात्रों के लिए एक अनोखा अवसर था जिससे वे बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की चुनौतियों और इंजीनियरिंग डिज़ाइन व निष्पादन की सटीकता के महत्व को समझ सके।
इन तीनों सत्रों ने न केवल छात्रों की तकनीकी, उद्यमिता और सतत विकास संबंधी समझ को गहरा किया, बल्कि अकादमिक शिक्षा और उद्योग जगत की आवश्यकताओं के बीच की खाई को भी पाटा, जो पेक की समग्र पेशेवर विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
