
हिंदी के विश्वस्तरीय प्रसार में हिन्दुस्तानी-मित्रों का महत्वपूर्ण योगदान ' विषय पर विचार गोष्ठी की गई आयोजित
पटियाला:- भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी के विश्व भर में प्रचार और प्रयास के लिए आई.ओ.एल.सी. द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में ' हिंदी के विश्वस्तरीय प्रसार में हिन्दी-मित्रों का महत्वपूर्ण योगदान ' विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लक्ष्य को लेकर कार्य कर रही संस्था इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर लैंग्वेज कोऑर्डिनेशन को रूस, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल में बहुत हद तक सफलता प्राप्त हुई है।
पटियाला:- भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी के विश्व भर में प्रचार और प्रयास के लिए आई.ओ.एल.सी. द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में ' हिंदी के विश्वस्तरीय प्रसार में हिन्दी-मित्रों का महत्वपूर्ण योगदान ' विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लक्ष्य को लेकर कार्य कर रही संस्था इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर लैंग्वेज कोऑर्डिनेशन को रूस, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल में बहुत हद तक सफलता प्राप्त हुई है।
केवल हिंदी ही नहीं अपितु पंजाबी भाषा और भारत में पढ़ी और लिखी जाने वाली भाषाओं के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के साथ तालमेल स्थापित कर उनका देश-विदेशों में और भी विस्तार किया जाएगा।’’ ये उद्गार ‘आई.ओ.एल.सी.’ संस्था के संस्थापक अनिल कुमार ‘भारती’ ने विश्व हिंदी दिवस के सुअवसर आयोजित विचार गोष्ठी के सुअवसर पर व्यक्त किये।
उन्होंने यह भी बताया कि अपने हिन्दी प्रचार-प्रसार अभियान के अगले चरण में फ्रांस और फ्रैंच भाषा के प्रयोग करने वाले अन्य देशों में हिन्दी का परचम लहराने के लिये जी जान से जुटे हैं और इसके लिए अपनी नई पुस्तक के रूप में विश्व भर के हिन्दी प्रेमियों को एक अनुपम उपहार देने के लिए सख्त मेहनत कर रहे हैं।
सम्पूर्ण विश्व के सभी देशों में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए पटियाला के एस.डी.एस.ई. सीनीयर सैकेण्डरी स्कूल में एस.एस. मास्टर के तौर पर सेवारत अनिल कुमार ‘भारती’ ने एक त्रिभाषा/बहुभाषा तुलनात्मक ज्ञान विकास पद्धति की खोज की है।
इस पद्धति के अनुसार देश-विदेश की किसी भी भाषा का अंग्रेजी और हिन्दी के साथ तारतम्य स्थापित करके हिन्दी को किसी भी देश के लोग बहुत आसानी से सीख सकते हैं। भाषाविद व शिक्षाशास्त्री अनिल कुमार ‘भारती’ द्वारा लिखी गई पुस्तकों ‘‘थ्री इन वन मैजिक’’ और "फोर इन वन मैजिक’’, लैंगुएज लर्निंग बुक ऑफ रशियन, हिंदी एंड इंग्लिश का विमोचन रूस के मॉस्को शहर में भव्य समारोहों में किया गया।
‘थ्री इन वन मैजिक’ पुस्तक का विमोचन रूस में भारतीय दूतावास के शिक्षा मंत्री श्री आलोक राज ने पंजाबी सभा मॉस्को द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में किया गया। इस पुस्तक के माध्यम से दुनिया के किसी भी देश के लोग हिन्दी भाषा और इसके मौलिक ज्ञान को बहुत आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इस पुस्तक की सैंकड़ों प्रतियों को मॉस्को में पूर्णतः निशुल्क बांटा गया।
हिन्दी भाषा के प्रसार अभियान में हिन्दी के प्राध्यापक सुशील कुमार आज़ाद ने भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सुशील कुमार आज़ाद ने बताया कि ‘‘मॉस्को के पंचतारा होटल में रूसी भारतीय मैत्री संघ मॉस्को और इंटरनैशनल ओरगेनाइजेशन फॉर लैंग्वेज कोआर्डीनेशन द्वारा संयुक्त रूप से एक भव्य समारोह आयोजित किया गया।
जिसमें रूस में भारत के तत्कालीन राजदूत श्री डी.बी. वेंकटेश वर्मा और रूस की सत्ताधारी पार्टी के सीनेटर मोरोजोव आइगोर निकोलाइविच द्वारा अनिल कुमार ‘भारती’ की नई पुस्तक ‘फोर इन वन मैजिक’ का लोकार्पण भी किया गया।
यह पुस्तक विश्व की पहली ऐसी पुस्तक है जिसकी सहायता से कोई भी व्यक्ति हिन्दी, पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं के साथ-साथ रूसी भाषा का मौलिक ज्ञान भी बहुत आसानी से प्राप्त कर सकता है। इस अवसर पर भारत और रूस के सैंकड़ों विद्वान और शिक्षाशास्त्री उपस्थित थे जिन्हें ‘दिशा’ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर सिंह और सुप्रतिष्ठित पदाधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया।
देश भर की जेलों में रह रहे हज़ारों अनपढ़ कैदियों को हिन्दी सिखाने के लिए शिक्षक अनिल कुमार ‘भारती’ के ‘‘भाषा ज्ञान से आत्म-सम्मान’’ प्रोजैक्ट को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद व पूर्व उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू ने गृहमंत्रालय को भी आगे कार्यवाई के लिए भेज दिया था।
इसी सोच को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए हिन्दुस्तानी मित्र आगे आए हैं, जिनमें पटियाला के लेखक व शिक्षाशास्त्री अनिल कुमार ‘भारती’, सुशील कुमार आज़ाद, पंजाबी सभा मॉस्को के प्रधान प्रमोद कुमार धीमान और डॉक्टर रामेश्वर सिंह आदि शामिल हैं। इन हिंदी मित्रों ने भी एक टीम के रूप में हिंदी भाषा के प्रसार प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
‘‘त्रिभाषा/बहुभाषा तुलनात्मक ज्ञान विकास पद्धति’’ का ‘‘जादू’’ कैसे काम करता है!
इस पद्धति के अनुसार हिन्दी भाषा के स्वर/व्यंजनों और शब्दों को तुलनात्मक दृष्टि से सिखाया जाता है। पुस्तक ‘‘थ्री इन वन मैजिक’’ के माध्यम से हिन्दी भाषा को पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं के जानकार बहुत ही सरलता से सीख सकते हैं उसी प्रकार पुस्तक ‘‘फोर इन वन मैजिक’’ की
इस पद्धति में जहां हजारों शब्दों को हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी और रूसी भाषा के साथ लिपिआन्तरण करके एक-दूसरे के साथ तुलनात्मक दृष्टि से जोड़ा गया है।
वहीं 175 आम जीवन में प्रयुक्त होने वाले वाक्यों में भी बेहतर तालमेल बिठा कर समझाया गया है। इस समूह कार्य को करने के लिए अनिल कुमार ‘भारती’ की धर्मपत्नी वीना कुमारी और पुत्र जशन द्वारा भी सराहनीय सहयोग प्राप्त हो रहा है।
