
आग, गैस और बिजली की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशिक्षित होना जरूरी है।
पटियाला- हर साल 14 अप्रैल से 21 अप्रैल तक देश में राष्ट्रीय अग्नि सुरक्षा जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है। श्रमिकों, घरेलू कामगारों और अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों को आग, गैस, बिजली और पेट्रोल के बारे में जागरूक किया जाता है। दुर्घटनाओं आदि के दौरान घटनाओं को रोकने और जान-माल को बचाने के लिए देवदूत बनकर मदद की जाती है। तैयार रहने के लिए मनाया जाता है।
पटियाला- हर साल 14 अप्रैल से 21 अप्रैल तक देश में राष्ट्रीय अग्नि सुरक्षा जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है। श्रमिकों, घरेलू कामगारों और अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों को आग, गैस, बिजली और पेट्रोल के बारे में जागरूक किया जाता है। दुर्घटनाओं आदि के दौरान घटनाओं को रोकने और जान-माल को बचाने के लिए देवदूत बनकर मदद की जाती है। तैयार रहने के लिए मनाया जाता है।
गलतियों, लापरवाही और अज्ञानता (प्रशिक्षण/अभ्यास की कमी) से गैसों का रिसाव, बिजली का शॉर्ट सर्किट, वाहनों में स्पार्किंग या पेट्रोल तेल के गिरने से आग लग सकती है। 99 प्रतिशत वाहनों, घरों और दुकानों में अग्निशामक सिलेंडर नहीं रखे जाते हैं। अब गैस पाइपों के जरिए हर जगह गैसें पहुंच रही हैं। जब तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचती हैं, तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है।
आग लगने से गैस, धुआं और बिजली के करंट के जरिए जान का भारी नुकसान होता है। यह जानकारी भारत सरकार के आपदा प्रबंधन, नागरिक सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षक श्री काका राम ने राजिंदरा अस्पताल में नर्सिंग छात्राओं को दी। उन्होंने कहा कि डाक्टरों, नर्सों व अन्य स्टाफ सदस्यों के अलावा आस-पास के दुकानदारों व ढाबों व वाहन चालकों को भी अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण अभ्यास व मॉक ड्रिल करवाई जाए। अस्पतालों में निर्बाध बिजली, ऑक्सीजन, गैसों व मशीनों का उपयोग किया जाता है।
उन्होंने आग के प्रकार व पानी, मिट्टी, आग को भूखा रखकर, सिलेंडर आदि का उपयोग कर उसे बुझाने के तरीके बताए। इसके उपयोग व मरीजों को बचाने की जानकारी दी। काका राम वर्मा ने कहा कि अधिकतर मौतें धुएं व गैसों के कारण दम घुटने से हो रही हैं। जान बचाने व पीड़ितों को बचाने के लिए नाक व मुंह पर गीला रूमाल रखकर जमीन पर लेट जाएं। लेटने से लोग मरने से बच सकते हैं, क्योंकि धुआं व गैसें श्वसन मार्ग में प्रवेश नहीं करती हैं।
केवल सिलेंडर व अन्य सिस्टम लगाने से अग्नि दुर्घटनाओं को नहीं रोका जा सकता, सिलेंडरों का उचित उपयोग सुनिश्चित करें, सिलेंडर व आग के प्रकारों पर प्रशिक्षण, अभ्यास व मॉक ड्रिल वर्ष में 2-3 बार करवाई जाए। प्राथमिक उपचार, सीपीआर, वेंटिलेटर, रेस्पिरेटरी सपोर्ट व हेल्पलाइन नंबरों के उपयोग की जानकारी दी जाए। 8 प्रकार की आपदा प्रबंधन टीमें बनाई जाएं। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, प्रिंसिपल, अध्यापकगण व विद्यार्थियों ने आभार व्यक्त किया।
