संपादक: दविंदर कुमार

गुरु वह नहीं जो आपके लिए मशाल थामे, बल्कि वह स्वयं मशाल होता है।

लेखक :- पैग़ाम-ऐ-जगत

साम्प्रदायिक एकता के लिए चुनौतियाँ

26 जनवरी हर भारतीय के लिए शुभ दिन है। हम 26 जनवरी 1950 के उस भाग्यशाली दिन को याद करते हैं, जिस दिन हमारे देश का अपना संविधान लागू हुआ था। इस दिन हर भारतीय संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा था। लेकिन इस दिन अमृतसर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया।

26 जनवरी हर भारतीय के लिए शुभ दिन है। हम 26 जनवरी 1950 के उस भाग्यशाली दिन को याद करते हैं, जिस दिन हमारे देश का अपना संविधान लागू हुआ था। इस दिन हर भारतीय संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा था। लेकिन इस दिन अमृतसर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया। 
शहर के जीवंत इलाके हेरिटेज स्ट्रीट में स्थापित बाबा साहब की प्रतिमा को एक अकेले युवक द्वारा क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया गया। इस घटना के बाद पूरे देश में, खासकर पंजाब में विरोध की लहर है। इस घटना की हर तरफ निंदा हो रही है। सभी राजनीतिक दलों के नेता इस जघन्य कृत्य की निंदा कर रहे हैं और दोषी व्यक्ति को सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।
निःसंदेह, यह एक अक्षम्य कृत्य है, जिसने हर नागरिक के दिल को गहरी ठेस पहुंचाई है। लेकिन इस घटना की गहराई में जाने की जरूरत है। इसके पीछे एक सोची-समझी साजिश है, जिसमें किसी एक व्यक्ति का दिमाग शामिल नहीं है। इस घटना के बाद उस व्यक्ति आकाशदीप सिंह का परिवार भी प्रकाश में आया। उनकी आर्थिक स्थिति से यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि शरारती ताकतें एक गरीब परिवार के युवाओं का इस्तेमाल अपने खतरनाक मंसूबों के लिए कैसे कर सकती हैं। 
मीडिया बार-बार इस बात पर जोर दे रहा है कि आकाशदीप अनुसूचित जाति से है। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि शरारती और स्वार्थी लोगों की कोई जाति या धर्म नहीं होता, उनका एकमात्र उद्देश्य समाज में फूट डालना या अराजकता फैलाना होता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकारों को इन चालों की गहराई से जांच करनी चाहिए और साजिश के 'मास्टरमाइंड' तक पहुंचना चाहिए। 
पंजाब हमेशा से ही विश्व भाईचारे का संदेश देने वाला राज्य रहा है। भाईचारा पंजाबियों के उदार स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन समय-समय पर सरकारों और सांप्रदायिक ताकतों की चालों के कारण पंजाब को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। 1947 में देश का बंटवारा हो या 80 के दशक का काला दौर, पंजाब ने विनाश की पराकाष्ठा देखी है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि गरीबी अपने आप में एक अभिशाप है। गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को आसानी से धोखा दिया जा सकता है और गुमराह किया जा सकता है। पंजाब और देश के अन्य राज्यों में धर्म परिवर्तन, डेरों के प्रति आकर्षण या गरीब लोगों का अवैध गतिविधियों में शामिल होना इस तथ्य को पुष्ट करता है। 
पंजाब का धार्मिक सौहार्द हमेशा एक मिसाल के रूप में सामने आया है। यहां जातिगत भेदभाव पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान के अनगिनत उदाहरण हर दिन देखने को मिलते हैं। हमारे सभी त्यौहार सभी धर्मों के लिए सम्मानीय और समान हैं। हाल ही में मुक्तसर जिले के खानन खुर्द में सिखों और हिंदुओं ने गांव के मुस्लिम निवासियों के लिए मस्जिद बनाने के लिए धन जुटाया। 
इसी तरह पिछले साल बरनाला जिले के बख्तगढ़ गांव के एक सिख परिवार ने मस्जिद बनाने के लिए जमीन दान की थी। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो पंजाबियों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हैं। शरारती तत्वों की चालें तब सफल होती हैं जब आम लोग उत्तेजित होकर बंद, चक्का जाम या भान तोड़ जैसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। 
इस बार श्री अमृतसर की पवित्र भूमि को नापाक उद्देश्यों के लिए जानबूझकर चुना गया है ताकि झुग्गी-झोपड़ी वाले पंजाब में आग लगाई जा सके। इसलिए हमें ऐसे तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है।

दविंदर कुमार

- देविंदर कुमार
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