
वास्तु शास्त्र में डरावनी आकृति को निंदनीय माना जाता है- डॉ. भूपेंद्र वास्तुशास्त्री
होशियारपुर- वास्तु शास्त्र में भूखंड और भवन की आकृति को विशेष महत्व दिया जाता है। हमारे प्राचीन साहित्य और शास्त्रों में इसका बखूबी वर्णन किया गया है। डरावनी आकृति को निंदनीय माना जाता है।
होशियारपुर- वास्तु शास्त्र में भूखंड और भवन की आकृति को विशेष महत्व दिया जाता है। हमारे प्राचीन साहित्य और शास्त्रों में इसका बखूबी वर्णन किया गया है। डरावनी आकृति को निंदनीय माना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय वास्तुकार और लेखक डॉ. भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का मानना है कि जिस मकान में हम रह रहे हैं, अगर वह आयताकार या वर्गाकार है तो वह शुभता की श्रेणी में आता है।
शर्त यह है कि भूखंड सूर्य या चंद्रमा को भेदता न हो। आयताकार भूखंड में भी अगर भवन चौड़ा हो और इकाई का निर्माण वास्तु के अनुसार हो तो वह भवन किसी महल से कम नहीं होगा। वहां रहने वाले हर व्यक्ति को अपार धन के साथ-साथ सफलता भी मिलेगी।
अगर चौड़ा भवन व्यावसायिक है तो वहां लक्ष्मी आने की अपार संभावनाएं रहती हैं। यदि एक ही भवन के अंदर किसी कमरे में पार्श्व फैलाव और उदर फैलाव हो तो उदर फैलाव में रहने वाले लोग असफल होंगे और पार्श्व फैलाव में रहने वाले लोग सफल होंगे।
इसके विपरीत यदि भूखण्ड उदर फैलाव वाला हो और सूर्य या चन्द्रमा को भी काटता हो तो उस स्थान के निवासियों को बार-बार असफलता का सामना करना पड़ेगा।
उदर फैलाव और पार्श्व फैलाव वाले भवनों में यदि आकृति त्रिभुजाकार, पंचकोणीय, षटकोणीय या त्रिकोणाकार हो या कोई कोण घट रहा हो या बढ़ रहा हो तो यह भी अशुभ फल देता है। वास्तु में ईशान कोण का बढ़ा होना ही शुभ माना गया है।
यदि ईशान कोण किसी भी आकृति में कटा हुआ हो तो स्वामी को सदैव धन, शिक्षा, संतान, बीमारी आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। और यदि दक्षिण दिशा बढ़ी हुई हो तो अनेक प्रकार की परेशानियां आती रहेंगी, यहां तक कि मृत्यु जैसे कष्ट भी झेलने पड़ सकते हैं।
