
पंजाब सरकार का पंजाबी नौकरशाही से भरोसा उठा - धनोआ
एस.ए.एस. नगर, 15 जुलाई- पंजाबी विरसा सभ्याचारक सोसाइटी के अध्यक्ष श्री सतबीर सिंह धनोआ ने कहा है कि पंजाब सरकार की नौकरशाही में गैर-पंजाबियों का वर्चस्व राज्य के हितों के खिलाफ एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, जो पंजाबी भाषा, संस्कृति और राज्य की जमीनी हकीकत के लिए एक गंभीर चुनौती बन रही है।
एस.ए.एस. नगर, 15 जुलाई- पंजाबी विरसा सभ्याचारक सोसाइटी के अध्यक्ष श्री सतबीर सिंह धनोआ ने कहा है कि पंजाब सरकार की नौकरशाही में गैर-पंजाबियों का वर्चस्व राज्य के हितों के खिलाफ एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, जो पंजाबी भाषा, संस्कृति और राज्य की जमीनी हकीकत के लिए एक गंभीर चुनौती बन रही है।
यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि ये अधिकारी न केवल पंजाबी भाषा से अनजान हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की भावनाओं और परंपराओं से भी पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह हो रहा है कि स्थानीय अधिकारियों और युवाओं के लिए राज्य में काम करने के रास्ते बंद हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के पंजाबी भाषा के लिए किए गए ईमानदार प्रयासों को विफल करने के लिए भी यह बाहरी लॉबी जिम्मेदार है। पंजाब सरकार द्वारा जिम्मेदारी वाले पदों पर गैर-पंजाबियों को नियुक्त किया जा रहा है, जबकि पंजाब से जुड़े मुद्दों को पंजाबी अधिकारी ही अधिक ईमानदारी से हल कर सकते हैं। लेकिन योग्य पंजाबी अधिकारियों को नजरअंदाज करके बाहर से लाए गए लोगों को इन पदों पर नियुक्त किया जा रहा है, जिनका पंजाब या पंजाबी लोगों के साथ कोई सच्चा लगाव नहीं है। इसके विपरीत, ये लोग हर छोटे-मोटे मुद्दे पर पंजाबियों का अपमान करते हैं, जो असहनीय है।
धनोआ ने कहा कि मुख्यमंत्री के मातृभाषा पंजाबी के प्रति किए गए ईमानदार प्रयासों के नाकाम होने का कारण भी यही बाहरी नौकरशाही है। हालांकि मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान कई मामलों में पंजाब के हित में मजबूत रुख अपनाते नजर आते हैं, लेकिन यह बाहरी नौकरशाही जमीनी स्तर पर निर्णयों को लागू करने में बाधाएं डालती है और पंजाबी भाषा, संस्कृति और पंजाबियों को हमेशा हाशिए पर रखने के लिए तत्पर रहती है।
उन्होंने बताया कि इस बाहरी लॉबी के समर्थन से ही कई निजी स्कूल पंजाबी भाषा को खत्म करने के लिए कदम उठा रहे हैं और पंजाबी को प्राथमिकता देने के बजाय बच्चों को पंजाबी बोलने से रोका जा रहा है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पंजाबी अधिकारियों को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है, जबकि पंजाबियों की योग्यता को पूरी दुनिया मानती है।
उन्होंने कहा कि हर राज्य में कम से कम 80 प्रतिशत वरिष्ठ नौकरशाही स्थानीय होती है, लेकिन पंजाब में इसका उल्टा हो रहा है। पंजाब में भी अधिकांश नौकरशाही पंजाब से होनी चाहिए। वास्तव में, बेरोजगारी और अन्य कुरीतियों के खत्म न होने का कारण भी यह बाहरी लॉबी है, क्योंकि इनका पंजाब के साथ कोई हृदय से लगाव नहीं है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी राज्य के लोगों की नब्ज वहां के निवासी ही समझ सकते हैं। धनोआ ने मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान को पत्र लिखकर इस प्रवृत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने सभी पंजाबियों, जिनमें चुने हुए सरपंच, काउंसलर, विधायक और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोग शामिल हैं, से इस पंजाबी-विरोधी लॉबी के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।
