
एटक ने 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल का किया ऐलान, मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ मजदूर वर्ग का संघर्ष तेज
पटियाला 21 जून: पंजाब एटक के अध्यक्ष बंत सिंह बराड़ और महासचिव निर्मल सिंह धालीवाल ने प्रेस को बयान जारी कर कहा कि कर्मचारियों, मजदूरों, मेहनतकशों और शोषण के शिकार सभी वर्गों के मुद्दों को लेकर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें और स्वतंत्र फेडरेशन 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल करने जा रही हैं।
पटियाला 21 जून: पंजाब एटक के अध्यक्ष बंत सिंह बराड़ और महासचिव निर्मल सिंह धालीवाल ने प्रेस को बयान जारी कर कहा कि कर्मचारियों, मजदूरों, मेहनतकशों और शोषण के शिकार सभी वर्गों के मुद्दों को लेकर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें और स्वतंत्र फेडरेशन 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल करने जा रही हैं।
यह हड़ताल पूरे देश में हुई पिछली सभी हड़तालों से ज्यादा सफल होगी। क्योंकि मोदी सरकार ने कॉरपोरेट्स और विदेशी साम्राज्यवादियों के लिए लूट के दरवाजे खोलकर आम लोगों के आर्थिक शोषण को चरम सीमा पर पहुंचा दिया है।
नतीजतन मजदूर वर्ग का जीवन दूभर हो गया है। कॉरपोरेट्स को हर तरह की छूट देने के लिए 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म करके 4 श्रम संहिताओं में बदल दिया गया है, जिससे मजदूरों के कानूनी अधिकार लगभग खत्म हो गए हैं।
इसके अलावा हड़ताल, प्रदर्शन, धरने, रैलियां, जुलूस व अन्य कई तरीकों से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले मजदूरों व अन्य कई वर्गों के संघर्षों को कुचलने के लिए यूएपीए जैसे विभिन्न कानून अस्तित्व में लाए गए हैं तथा आईपीसी की जगह बीएनएस को लाया गया है और पुलिस को अपार शक्तियां दी गई हैं, ताकि जनता के संघर्षों को कुचला जा सके। सार्वजनिक क्षेत्र को खत्म करने के करीब पहुंचा दिया गया है। हर जगह निजीकरण को स्थापित किया जा रहा है।
ठेका प्रणाली के जरिए युवाओं की श्रम शक्ति को सस्ते दामों पर लूटा जा रहा है। पुरानी पेंशन को खत्म करके एनपीएस व यूपीएस जैसी पेंशन योजनाएं लाई गई हैं। मजदूरों का पैसा काटकर उनसे कम पेंशन दी जाएगी। स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी, छंटनी, लॉकडाउन आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे गंभीर रूप ले चुके हैं। देश में करोड़ों स्कीम वर्करों को मजदूर का दर्जा नहीं दिया जा रहा है और न ही उन्हें न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है।
नरेगा कानून को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है। नरेगा का विस्तार नहीं किया जा रहा है, जबकि बेरोजगारी के इस खतरनाक दौर में नरेगा को शहरों में भी लागू किया जाना चाहिए तथा 100 दिन की जगह 200 दिन काम दिया जाना चाहिए तथा दिहाड़ी 700 रुपये होनी चाहिए, न्यूनतम मजदूरी 26000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए आदि कई अन्य मुद्दे हैं, जिनके लिए इस हड़ताल को आधार बनाना होगा।
बराड़ व धालीवाल ने पंजाब एटक से संबंधित सभी संगठनों के नेतृत्व को हड़ताल की तैयारी के लिए अपने-अपने संगठनों द्वारा बैठकें व सम्मेलन आयोजित करने तथा अन्य संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए कहा।
