नवयुवक कवि जसवंत गिल समालसर की काव्य पुस्तक 'ज़िंदगी दे परछावें' पर विचार गोष्ठी आयोजित

मोगा, 13 जुलाई: प्रगतिशील लेखक संघ, पंजाब द्वारा लोक साहित्य अकादमी (रजि.) मोगा के सहयोग से नवयुवक कवि जसवंत गिल समालसर की प्रथम काव्य पुस्तक 'ज़िंदगी दे परछावें' पर विचार गोष्ठी लेखिका सुखमंदर कौर मोगा के निवास पर आयोजित की गई।

मोगा, 13 जुलाई: प्रगतिशील लेखक संघ, पंजाब द्वारा लोक साहित्य अकादमी (रजि.) मोगा के सहयोग से नवयुवक कवि जसवंत गिल समालसर की प्रथम काव्य पुस्तक 'ज़िंदगी दे परछावें' पर विचार गोष्ठी लेखिका सुखमंदर कौर मोगा के निवास पर आयोजित की गई।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध रंगकर्मी व साहित्यकार डॉ. कुलदीप सिंह दीप (पटियाला) मुख्य अतिथि रहे, जबकि प्रसिद्ध कहानीकार परमजीत सिंह मान (चंडीगढ़) विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। अध्यक्षता मंडल में डॉ. दीप, परमजीत सिंह मान, डॉ. सुरजीत दौधर, डॉ. सुरजीत बराड़ घोलिया, हरनेक सिंह रोडे और जंगीर सिंह खोखर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत जसवंत गिल ने अपनी चुनिंदा कविताओं के पाठ से की। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. दीप ने प्रगतिशील लेखक संघ की साहित्यिक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए लोक साहित्य अकादमी मोगा की सराहना की। उन्होंने जसवंत को दबे-कुचले मजदूरों के साथ मध्यम वर्ग की व्यथा पर भी लेखन की सलाह दी।
विशेष अतिथि परमजीत मान ने जसवंत की कविता को संत राम उदासी के बाद की अर्थपूर्ण कविता बताया। आलोचक डॉ. सुरजीत बराड़ ने कहा कि जसवंत की कविताओं का स्वर विद्रोही है और उन्होंने समकालीनों में अपनी अलग पहचान बनाई है। डॉ. सुरजीत सिंह दौधर ने कहा कि जसवंत की कविता में मजदूरों और श्रमिक वर्ग के दुख-दर्द का मार्मिक चित्रण है।
हरनेक सिंह रोडे ने जसवंत को 500 रुपये का सम्मान देते हुए कहा कि लंबे समय बाद ऐसी विशिष्ट कविता सुनने को मिली है। अन्य वक्ताओं ने जसवंत को नई पीढ़ी का प्रतिबद्ध कवि बताया। कार्यक्रम का संचालन युवा शायर चरणजीत समालसर ने खूबसूरत अंदाज़ में किया।
कवि दरबार में धामी गिल, सोनी मोगा, हैप्पी शायर, करमजीत कौर, दिलबाग सिंह, रणजीत सरांवली आदि ने कविताएं प्रस्तुत कीं। अंत में लेखिका सुखमंदर कौर ने आए हुए साहित्यकारों का धन्यवाद करते हुए इसे एक यादगार आयोजन बताया।