
पीयू के संस्कृत विभाग में दयानंद सरस्वती पर विशेष व्याख्यान हुआ।
दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के साल भर चलने वाले समारोह के एक भाग के रूप में, आज 7.3.24 को पंजाब विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान विभाग के पूर्व छात्र डॉ. मनीष शर्मा का था। व्याख्यान में विभाग के शिक्षकों, अनुसंधान विद्वानों और छात्रों के साथ-साथ पीयू के दयानंद चेयर फॉर वैदिक स्टडीज ने भाग लिया।
दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के साल भर चलने वाले समारोह के एक भाग के रूप में, आज 7.3.24 को पंजाब विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान विभाग के पूर्व छात्र डॉ. मनीष शर्मा का था। व्याख्यान में विभाग के शिक्षकों, अनुसंधान विद्वानों और छात्रों के साथ-साथ पीयू के दयानंद चेयर फॉर वैदिक स्टडीज ने भाग लिया।
डॉ. मनीष शर्मा ने हरियाणा में स्वामी दयानंद के योगदान के बारे में बताया। डॉ. शर्मा ने कहा, "स्वामी दयानंद सबसे पहले रेवाड़ी आए थे और वहीं से आर्य समाज के बीज बोए गए थे।" उन्होंने बताया, "हरियाणा के लोग मुख्य रूप से कृषक थे और सख्त शाकाहारी थे, जो आर्य समाज की प्रथाओं के अनुरूप थे।" डॉ. शर्मा ने कहा कि हरियाणा के जाट समुदाय के लोग मानते हैं कि स्वामी दयानंद ने उन्हें एक सम्मानित स्थान दिया। पंडित बस्ती राम, युधिष्ठिर मीमांसक, लाला लाजपत राय, पीरू मल, चंदू लाल और ऐसे अन्य प्रमुख व्यक्ति हैं जिन्होंने हरियाणा में आर्य समाज के लिए काम किया।
प्रो. वी.के. अलंकार ने वक्ता के साथ-साथ दर्शकों को धन्यवाद ज्ञापन दिया। प्रोफेसर ने बताया, "हम अपने छात्रों को अपने बेटे और बेटियों की तरह मानते हैं।" उन्होंने कहा कि पंजाब ने संस्कृत के प्रति बहुत बड़ा योगदान दिया है। प्रोफेसर अलंकार ने कहा, "स्वामी दयानंद ने राव मान सिंह के सहयोग से हरियाणा के रेवाड़ी में सबसे लंबे समय तक चलने वाली गौशालाओं में से एक खोली थी।"
इसके साथ ही पीएचडी उपाधि प्राप्त कर रहे शोधार्थियों ने विभाग में अपने अनुभव साझा किये। डॉ. बब्बू राम ने कहा, "मैं यहां दो साल तक रहा, सीखा, साथ ही सिखाने का मौका भी मिला।" डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि विभाग का माहौल काफी उत्साहवर्धक रहा। डॉ. कविता ने अपने शिक्षकों एवं पर्यवेक्षकों का आभार व्यक्त किया। डॉ. विजय भारद्वाज, जो विभाग में शिक्षक भी हैं, ने अपने अनुभव साझा किये।
