
शिक्षा मंत्री ने गंभीरपुर गांव में बेरोजगार शिक्षकों पर पुलिस द्वारा किए गए अंधाधुंध अत्याचार की निंदा की।
गढ़शंकर, 20 अप्रैल- शिक्षा मंत्री श्री हरजोत बैंस के गांव गंभीरपुर में संघर्ष कर रहे ईटीटी (बैकलॉग) भर्ती में चयनित 5994 बेरोजगार अध्यापकों पर पुलिस द्वारा सरेआम की गई मारपीट व लाठीचार्ज का कड़ा नोटिस लेते हुए डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने इसे तथाकथित शिक्षा क्रांति का नारा देने वाली 'आप' सरकार की शर्मनाक हरकत करार दिया है। डीटीएफ ने बेरोजगार अध्यापकों पर हाथ उठाने वाले पंजाब पुलिस के एसएचओ दानिशवीर व अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने तथा ईटीटी 5994 की भर्ती पूरी करने की भी मांग की है।
गढ़शंकर, 20 अप्रैल- शिक्षा मंत्री श्री हरजोत बैंस के गांव गंभीरपुर में संघर्ष कर रहे ईटीटी (बैकलॉग) भर्ती में चयनित 5994 बेरोजगार अध्यापकों पर पुलिस द्वारा सरेआम की गई मारपीट व लाठीचार्ज का कड़ा नोटिस लेते हुए डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने इसे तथाकथित शिक्षा क्रांति का नारा देने वाली 'आप' सरकार की शर्मनाक हरकत करार दिया है। डीटीएफ ने बेरोजगार अध्यापकों पर हाथ उठाने वाले पंजाब पुलिस के एसएचओ दानिशवीर व अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने तथा ईटीटी 5994 की भर्ती पूरी करने की भी मांग की है।
इस बारे में अधिक बात करते हुए डीटीएफ के राज्य अध्यक्ष विक्रम देव सिंह, महासचिव महेंद्र कौरियांवाली और संयुक्त सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि एक तरफ पंजाब सरकार ने शिक्षा क्रांति के नारे के तहत सरकारी स्कूलों में उद्घाटन पत्थर रखने की लहर ला दी है, वहीं दूसरी तरफ स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती और अन्य बुनियादी सुधारों के मामले में पंजाब में स्कूली शिक्षा लगातार पिछड़ रही है।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री द्वारा सरकारी स्कूलों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती करने के दावे हकीकत से कोसों दूर हैं। दरअसल, वर्ष 2022 में 5994 ईटीटी अध्यापकों की भर्ती भी शुरू की गई थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है।
इस भर्ती में करीब 2600 नियुक्ति पत्र पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक अप्रैल 2025 को एक समारोह में स्वयं जारी किए थे, लेकिन मात्र 1200 अध्यापकों की उपस्थिति के बाद बाकी प्रक्रिया रोक दी गई थी। इन 5994 भर्तियों में से ईटीटी बैकलॉग के 3000 पदों को भी लटकाने की साजिश रची गई है। जब बेरोजगार शिक्षक अपनी भर्ती पूरी करने के लिए संघर्ष करते हैं, तो उनका स्वागत पुलिस की लाठियों और धौंस-धमकी से होता है।
