
एस.के. अग्रवाल के निबंध संग्रह 'जादों जागो जवांद सवेरा', 'जब जागो तभी सवेरा' के हिंदी अनुवाद पर परिचर्चा आयोजित की गई।
साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर, 25 जुलाई: श्री एस.के. अग्रवाल के निबंध संग्रह 'जादों जागो जवांद सवेरा', 'जब जागो तभी सवेरा' के हिंदी अनुवाद का आज जिला भाषा कार्यालय, साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर के साहित्यिक समूह द्वारा लोकार्पण किया गया और परिचर्चा का आयोजन किया गया।
साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर, 25 जुलाई: श्री एस.के. अग्रवाल के निबंध संग्रह 'जादों जागो जवांद सवेरा', 'जब जागो तभी सवेरा' के हिंदी अनुवाद का आज जिला भाषा कार्यालय, साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर के साहित्यिक समूह द्वारा लोकार्पण किया गया और परिचर्चा का आयोजन किया गया।
शोध अधिकारी डॉ. दर्शन कौर ने अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत किया और उन्हें परिचर्चा के उद्देश्य से अवगत कराया। निबंध संग्रह के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह निबंध संग्रह केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि विचारों की प्रखरता और अनुभव की गहराई है।
सम्पूर्ण अध्यक्षमंडल द्वारा पुस्तक को जनता को समर्पित करने के बाद, मुख्य अतिथि डॉ. परमजीत सिंह जसवाल, कुलपति, एसआरएम विश्वविद्यालय, सोनीपत ने कहा कि यह पुस्तक बहुमूल्य अनुभवों के संग्रह के साथ-साथ समसामयिक ज्वलंत मुद्दों की कहानी भी है। इस परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात लेखक जंग बहादुर गोयल ने पुस्तक की सराहना की और कहा कि यह निबंध संग्रह एस.के. अग्रवाल के अनुभवों, विचारों और अनुभूतियों की अद्भुत रचना है।
विशिष्ट अतिथि ब्रह्मकुमारी रमा दीदी ने कहा कि जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है जिसे इसमें छुआ न गया हो। पूर्व जिला भाषा अधिकारी डॉ. दविंदर सिंह बोहा ने कहा कि इस पुस्तक में अग्रवाल जी ने न्याय के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी सत्य के साथ न्याय किया है। पंजाबी अभिनेता करमजीत अनमोल ने कहा कि हस्तलिखित पुस्तक श्री एस.के. अग्रवाल के व्यक्तित्व की तरह ही सरल, सहज, सरल और सुंदर है।
डॉ. मुकेश अरोड़ा, पूर्व सीनेटर एवं सिंडीकेट सदस्य, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ ने कहा कि इस पुस्तक की विशेषता यह है कि यह न केवल समस्या की ओर इशारा करती है बल्कि समाधान भी सुझाती है। लेखक, श्री एस.के. अग्रवाल ने पुस्तक के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों के लिए अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला है। अग्रवाल ने अपनी अनूठी शैली में अपनी रचनात्मक प्रक्रिया पर बात करते हुए कहा कि साहित्य से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसलिए, हमारे पास पुस्तकों से जुड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
कार्यक्रम में आर.टी. जिंदल, के.एस. गुरु, के.के. बंसल, हीरा लाल बंसल, जगदीश मित्तल, बी.आर. गर्ग, डॉ. बलदेव सप्तऋषि, भीम सेन बंसल, सरोज अग्रवाल, निकिता अग्रवाल, पाल अजनबी, जे.एस. जस्सी, कमल वरिंदर कौर, रोहित बंसल, रघबीर सिंह, मंजीत कौर कोटिया, गुरशरण कौर, बी.के. सुमन भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में, श्री शैलेश कुमार ने अतिथियों का सम्मान और धन्यवाद किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन श्री भूपिंदर मलिक ने सुचारू रूप से किया।
