आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा पटियाला में तीन दिवसीय आध्यात्मिक साधना कैंप सफलतापूर्वक आयोजित

पटियाला- आनंद मार्ग प्रचारक संघ की पटियाला शाखा द्वारा 18 से 20 जुलाई 2025 तक आनंद मार्ग कॉम्प्लेक्स, गुरबख्श कॉलोनी, माता श्री वैष्णो देवी मंदिर के सामने, पटियाला में तीन दिवसीय साधना कैंप का आयोजन किया गया।

पटियाला- आनंद मार्ग प्रचारक संघ की पटियाला शाखा द्वारा 18 से 20 जुलाई 2025 तक आनंद मार्ग कॉम्प्लेक्स, गुरबख्श कॉलोनी, माता श्री वैष्णो देवी मंदिर के सामने, पटियाला में तीन दिवसीय साधना कैंप का आयोजन किया गया।
यह कैंप साधकों के लिए न केवल गहन आध्यात्मिक अभ्यास का अवसर था, बल्कि समाज में नैतिकता, सेवा और आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश भी लेकर आया।
इस कैंप में सामूहिक ध्यान, योग अभ्यास, प्रवचन, कीर्तन, सेवा कार्य और युवाओं के लिए प्रेरणादायक संवाद सत्र आयोजित किए गए। इसका उद्देश्य था आध्यात्मिक चेतना को जगाना, युवाओं को योग से जोड़ना और स्थानीय समुदाय में स्वस्थ व संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करना।
इस संगोष्ठी में संस्था के वरिष्ठ आचार्य—आचार्य वदानंद अवधूत, आचार्य शुभमित्रानंद अवधूत, आचार्य तीर्थवेदानंद अवधूत, अवधूतिका आनंदविसुद्धा आचार्य, अवधूतिका आनंद कीर्ति लेखा आचार्य, आचार्य देव नित्रानंद अवधूत—तथा पंजाब से आए साधकों ने भाग लिया।
आज के युग में जब समाज आंतरिक और बाहरी संघर्षों से जूझ रहा है, तब आनंद मार्ग जैसी संस्थाएं आध्यात्मिकता और सद्भाव की ओर लौटने की प्रेरणा देती हैं। मीडिया प्रतिनिधियों की भागीदारी इस पावन कार्य को व्यापक जनता तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी।
सभी का दिल से स्वागत है। आइए, इस रचनात्मक और आध्यात्मिक अभियान के साक्षी बनें।
संस्था के वरिष्ठ अवधूत, अवधूतिकाएं और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश से आए 200 से अधिक साधकों ने इस संगोष्ठी में भाग लिया।
संगोष्ठी के दौरान “बाबा नाम केवलम” महामंत्र का अखंड कीर्तन हुआ, जो अत्यंत भावुक और आनंदमयी था। आचार्य तीर्थवेदानंद अवधूत ने बताया कि परमात्मा कोई शरीर नहीं है, वह प्रेम की एक निजी भावना है जो अनंत आनंद देती है और हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कीर्तन की बड़ी भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि कीर्तन वहीं स्थान है जहाँ परमात्मा निवास करता है, क्योंकि वही उसकी स्तुति है।
स्वाध्याय सत्र में बताया गया कि मनुष्य को केवल परमात्मा की कृपा की आवश्यकता होती है, जो कीर्तन के माध्यम से सहजता से प्राप्त की जा सकती है। इस कृपा को पाने वाला सब कुछ प्राप्त कर लेता है।
संगोष्ठी में कक्षा लेते हुए आचार्य वंदनानंद अवधूत ने बताया कि आज आनंद मार्ग दुनिया के सभी देशों में कार्य कर रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य एक सुंदर और सशक्त मानव समाज की रचना है। इसके लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता है, और यह मार्ग ऐसे नैतिक व सुंदर मनुष्य बनाने का तरीका है। एक ऐसा समाज जिसमें केवल मनुष्यों के साथ ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों, पौधों, वृक्षों और यहां तक कि निर्जीव वस्तुओं के साथ भी गलत व्यवहार न हो।
संस्था का उद्देश्य है: "आत्मा मोक्षार्थम्, जगत हिताय च", अर्थात आत्ममुक्ति प्राप्त करना और जगत के कल्याण हेतु कार्य करना। अष्टांग योग के माध्यम से मनुष्यों को आंतरिक रूप से सुंदर और मजबूत बनाना और सेवा के माध्यम से सहयोग की भावना को जगाना ताकि कोई भी व्यक्ति कभी अकेला या बेसहारा महसूस न करे और हर कोई मुस्कुराता, गाता, नाचता हुआ अपने जीवन के लक्ष्य की ओर अग्रसर हो।
इस प्रकार के कार्यक्रम व्यक्ति और समाज के कल्याण हेतु अत्यंत प्रभावी सिद्ध होते हैं और इन्हें नियमित रूप से जारी रहना चाहिए ताकि उत्तम मानव बन सकें और समाज का विकास हो सके।
कार्यक्रम की सफलता पर एन.के. जॉली, डॉ. सुरजीत वर्मा, रविंदर ठाकुर, जय चंद सैनी, चंचल, धर्मवीर शर्मा और राजनीश वर्मा (प्रधान) ने आए सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।