संगठनों ने शहर में किया विरोध प्रदर्शन। इफ्टू व अन्य संगठनों ने की हड़ताल और रैली

नवांशहर, 9 जुलाई- 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व अन्य संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा आज दिए गए देशव्यापी हड़ताल के आह्वान पर, मजदूर, कर्मचारी और किसान संगठनों ने नवांशहर के बस स्टैंड पर हड़ताल और रैली की।

नवांशहर, 9 जुलाई- 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व अन्य संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा आज दिए गए देशव्यापी हड़ताल के आह्वान पर, मजदूर, कर्मचारी और किसान संगठनों ने नवांशहर के बस स्टैंड पर हड़ताल और रैली की।
 इस अवसर पर इफ्टू के प्रदेश अध्यक्ष कुलविंदर सिंह वड़ैच, प्रदेश प्रेस सचिव जसबीर दीप, जिला अध्यक्ष गुरदयाल रक्कड़, जिला उपाध्यक्ष परवीन कुमार निराला, आशा वर्कर्स एवं फैसिलिटेटर्स यूनियन की जिला अध्यक्ष शकुंतला सरोय, ऑटो वर्कर्स यूनियन के जिला अध्यक्ष पुनीत कुमार बछोरी, कीर्ति किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष सुरिंदर सिंह बैंस, राष्ट्रीय किसान यूनियन के नेता निर्मल सिंह औजला, जम्हूरी अधिकार सभा के जिला अध्यक्ष अशोक कुमार, रेहड़ी-पटरी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष हरे राम आदि ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज मजदूर वर्ग बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। 
उन्होंने कहा कि चारों श्रम संहिताएँ मोदी सरकार द्वारा मज़दूर वर्ग पर एक घातक हमला हैं। ये श्रम संहिताएँ मज़दूरों के संगठित होने, संघर्ष करने और हड़ताल करने जैसे बुनियादी अधिकारों पर डकैती हैं। जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार के लिए मज़दूर वर्ग पूँजीपतियों के मुनाफ़े का अड्डा मात्र है। नेताओं ने कहा कि मज़दूर वर्ग के कार्यस्थल बेहद असुरक्षित हैं।
नेताओं ने चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, मौजूदा श्रम कानूनों को लागू करने, औद्योगिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय लागू करने, सुरक्षा उल्लंघनों की जाँच में लापरवाही बरतने वाले कारखाना निरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई, सार्वजनिक संस्थानों और संपत्तियों का निजीकरण, बिक्री, धन का भुगतान, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और नई पेंशन योजना को रद्द करने, आशा, मध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी और अन्य केंद्रीय योजनाओं के तहत काम करने वालों को सरकारी कर्मचारियों का दर्जा और अधिकार देने, देश भर में न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह करने, अमीरों पर अधिक कर लगाने (अरबपतियों पर 4% संपत्ति कर), कृषि विपणन अधिनियम जैसे मसौदों को निरस्त करने, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार की गारंटी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने, मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के लिए धन में 50% की वृद्धि, आर्थिक नीतियों में सार्वजनिक निवेश की माँग की। 
उन्होंने कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि, जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष करों के बोझ को कम करने की माँग की। नेताओं ने कहा कि यह हड़ताल मज़दूरों, किसानों और सामाजिक समूहों के अधिकारों की एक बड़ी लड़ाई का हिस्सा है, जो सरकारी नीतियों में बदलाव की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सरकारी बैंकों को कॉरपोरेटरों के कल्याण केंद्रों में बदल दिया है। 
मोदी सरकार और इस पार्टी की राज्य सरकारें आदिवासियों और माओवादियों की हत्या कर रही हैं, आदिवासियों को विस्थापित कर रही हैं ताकि वे कॉरपोरेटरों के हाथों बहुमूल्य प्राकृतिक खजाने को लूट सकें। उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने राज्य में पुलिस राज स्थापित कर दिया है। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राज्य में घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, फर्जी पुलिस मुठभेड़ें की जा रही हैं। 
यहाँ तक कि संगठनों को विरोध प्रदर्शन करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है। लाठीचार्ज किया जा रहा है, नेताओं को झूठे मामलों में जेल में डाला जा रहा है। नई लैंड पूलिंग नीति के ज़रिए किसानों की ज़मीनें जबरन छीनी जा रही हैं। फोटो कैप्शन: नवांशहर में प्रदर्शन करते मज़दूर, कर्मचारी और किसान।