
पशु चिकित्सा अधिकारियों ने सरकार को दिया 10 दिन का अल्टीमेटम
एस ए एस नगर, 5 जुलाई- पंजाब के पशुपालन विभाग में कार्यरत पशु चिकित्सा अधिकारियों ने पुनः संघर्ष की घोषणा कर दी है। जत्थेबंदी ने सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें कहा गया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो पंजाब के सभी पशु चिकित्सा डॉक्टर सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।
एस ए एस नगर, 5 जुलाई- पंजाब के पशुपालन विभाग में कार्यरत पशु चिकित्सा अधिकारियों ने पुनः संघर्ष की घोषणा कर दी है। जत्थेबंदी ने सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें कहा गया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो पंजाब के सभी पशु चिकित्सा डॉक्टर सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।
यह निर्णय जॉइंट एक्शन फॉर पे पैरिटी की सूबा कमेटी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक में बोलते हुए संघर्ष कमेटी के संयोजक डॉ. गुरचरण सिंह ने कहा कि पशु चिकित्सा अधिकारियों को चिकित्सा अधिकारियों के साथ वेतन समानता माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार मिली हुई थी, जिसे बहाल करवाने के लिए जत्थेबंदी द्वारा सूबा सरकार के स्तर पर बार-बार मांग पत्र दिए गए।
इस दौरान पशुपालन विभाग के पूर्व मंत्रियों स. कुलदीप सिंह धालीवाल, स. लालजीत सिंह भुल्लर और वर्तमान मंत्री स. गुरमीत सिंह खुड्डियां को बार-बार मांग पत्र दिए गए हैं। विभाग के मंत्री के साथ कई बार बैठकें हो चुकी हैं और सरकार की कैबिनेट सब-कमेटी के साथ भी दो बार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक वादों से ज्यादा कुछ नहीं किया गया। इससे तंग आकर पशु चिकित्सा अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ पुनः संघर्ष की घोषणा की है। इसके तहत जत्थेबंदी ने केंद्र सरकार की सुरभि सुरक्षा योजना का भी बहिष्कार शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों द्वारा आंकड़ों के साथ फाइलों का ढेर भरने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है, और न मानने वालों को चार्जशीट या निलंबन के माध्यम से उलझाया जा रहा है, जबकि जमीनी स्तर पर लोगों की हालत बहुत खराब है। कमेटी के सह-संयोजक डॉ. पुनीत मल्होत्रा, डॉ. अब्दुल मजीद और कमेटी के प्रवक्ता डॉ. गुरिंदर सिंह वालिया ने कहा कि यदि सरकार ने आगामी 13 जुलाई तक वेतन समानता बहाल नहीं की, तो समूचा पशु चिकित्सा डॉक्टर समुदाय सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा।
यह उल्लेखनीय है कि पशु चिकित्सा अधिकारियों का प्रवेश वेतन पिछले सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग के बहाने से कम कर दिया गया था और चिकित्सा अधिकारियों के साथ 40 साल से चली आ रही वेतन समानता तोड़ दी गई थी।
