
टी-रौड आपको गंभीर संकट में डाल सकता है _डॉ. भूपेंद्र वास्तु शास्त्री
होशियारपुर- हमारे भवन की आंतरिक संरचना में पंच महाभूतों का समुचित प्रयोग किया गया है, भवन की सभी इकाइयां भी वास्तु के अनुसार ही बनाई जाती हैं तथा भवन का बाह्य वास्तु जिसमें टी-रोड (मार्ग वेद) का प्रभाव घातक अथवा जीवन के लिए खतरा हो सकता है, ऐसा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वास्तुविद एवं लेखक डॉ. भूपेंद्र वास्तु शास्त्री का मानना है।
होशियारपुर- हमारे भवन की आंतरिक संरचना में पंच महाभूतों का समुचित प्रयोग किया गया है, भवन की सभी इकाइयां भी वास्तु के अनुसार ही बनाई जाती हैं तथा भवन का बाह्य वास्तु जिसमें टी-रोड (मार्ग वेद) का प्रभाव घातक अथवा जीवन के लिए खतरा हो सकता है, ऐसा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वास्तुविद एवं लेखक डॉ. भूपेंद्र वास्तु शास्त्री का मानना है।
विधि दोष में मार्ग प्रहार को गंभीर वास्तु दोष की श्रेणी में रखा गया है। भवन के सामने का मार्ग दाएं अथवा बाएं भागों में बंटा हुआ हो, उस मार्ग को टी-रोड कहते हैं। यह टी-रोड भवन के जिस भाग से टकराता है, उसके अनुसार परिणाम देता है। उदाहरण के लिए उत्तर दिशा में मार्ग वेद अवसरों में कमी लाएगा।
पूर्व दिशा में मार्ग वेद सरकारी बाधाएं उत्पन्न करेगा। कुछ स्थानों पर यह मालिकाना हक से भी वंचित करता है। दक्षिण दिशा का मार्ग आपको सम्मान एवं प्रतिष्ठा से धरातल से अलग कर देगा। पश्चिम दिशा का मार्ग लाभ की हानि के साथ-साथ साझेदारी से अलगाव का कारण बनता है।
इसके अलावा, निर्वाण कोण के दाएं और बाएं भाग का वेध जीवन को खतरे में डाल सकता है। अग्नि कोण के बाएं और दाएं भाग का वेध मानसिक तनाव का कारण बनता है। सामाजिक हानि के अलावा, वायव्य कोण का वेध योगी, भोगी, जोगी जैसे कारणों का कारण बनता है।
ईशान कोण के बाएं और दाएं भाग का वेध ही शुभ हो सकता है। इसलिए भवन के आंतरिक वास्तु के अलावा बाहरी वास्तु को भी देखना चाहिए।
